सीएचसी के बाद भी बदहाल जेपी के गांव का अस्पताल, सुविधाओं का अभाव कायम
जेपी के गांव का नाम सुनते ही एक बार कोई भी एक विकसित गांव की कल्पना में डूब जाता हैं लेकिन हकीकत की पड़ताल करें तो यहां कुछ और ही तस्वीर मिलती है।
बलिया, जेएनएन। जेपी के गांव का नाम सुनते ही एक बार कोई भी एक विकसित गांव की कल्पना में डूब जाता हैं लेकिन हकीकत की पड़ताल करें तो यहां कुछ और ही तस्वीर मिलती है। इस गांव की अन्य सुविधाओं की तरह ही एक है सीएचसी जयप्रकाशनगर भी है। यह लगभग 50 हजार की आबादी के बीच दलजीत टोला में स्थापित है। इस अस्पताल का लोकार्पण विगत वर्ष दो मई 2016 को बैरिया में आयोजित एक सभा में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। अस्पताल के अंदर की तस्वीर देखें तो मरीजों की कौन कहे यहां तैनात डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की जिंदगी भी नर्क में तब्दील है। यहां बने डाक्टर आवास तक में आज भी न बिजली है न पानी की व्यवस्था। सभी स्वास्थ्य कर्मी काफी कष्टदायी जिंदगी जीते हुए अपनी नौकरी करते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि यहां उपचार संबंधी संसाधनों में भी जिला मुख्यालय से जमकर अनदेखी क जाती है।
खुद की है पानी टंकी, नहीं होती सप्लाई
इस अस्पताल में डाक्टर निवास से लेकर अस्पताल के अंदर भी पानी की बेहतर सप्लाई के लिए खुद की पानी टंकी का निर्माण हुआ है लेकिन इससे पानी की सप्लाई नहीं होती। वजह कि यह टंकी बनने के समय से ही लिकेज है। जब भी इसमें पानी भरा जाता है टंकी से पानी ऊपर से बारिश की तरह गिरने लगता है। अस्पताल परिसर में बने पानी टंकी निर्माण में भ्रष्टाचार का इससे बड़ा उदाहरण भी और कुछ नहीं है। कई बात की शिकायत के बावजूद इस पर विभाग द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। नतीजन मात्र एक हैंडपंप की बदौलत यहां मरीज और स्वाथ्यकर्मियों का काम चलता है।
सुविधाओं के लिए कई बार लिखा शासन को पत्र
इस अस्पताल में महिला नर्स की तैनाती, सर्प दंश, एंटी रैबीज की दवा, दवा रखने की फ्रिज, पानी टंकी से पानी की सप्लाई, अस्पताल के अंदर साफ-सफाई और मेंटेंनेस व्यवस्था, दवा की उपलब्धता आदि सुविधाएं ठीक करने के लिए ग्राम प्रधान रूबी ङ्क्षसह ने शासन को कई पत्र दिए लेकिन आज तक यहां सभी सुविधाएं मुहैया नहीं हो सकी। इसे सीएचसी जरूर कर दिया है लेकिन सुविधाएं पीएचसी की तरह ही रखी गई हैं। सीएचसी होने के बाद यहां आठ डाक्टर व पैथोलॉजी, एक्सरे आदि तमाम सुविधाएं होनी चाहिए। विभाग इस ओर कभी गंभीर ही नहीं होता। जबकि 50 हजार की आबादी के बीच यह अकेला अस्पताल है। बताया कि सुविधाएं बढ़ाने से संबंधित पत्र अभी तत्काल में मुख्यमंत्री को भी प्रेषित दी थी जिसके बाद वहां से बलिया सीएमओ को अस्पताल की सुविधाएं बढा़ए के निर्देश दिए गए थे लेकिन सीएमओ ने इसका संज्ञान लेना उचित नहीं समझा। इसकी दोबारा भी शिकायत मैने शसन में की है।
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