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कोरोना के दूसरे लहर के बाद 40 फीसद लोग हो गए मनोरोगी, जानिए क्‍या हैं इसके लक्षण और उपचार

किसी को रोजगार की चिंता सता रही है तो किसी को अपने भविष्य की। कोविड फोबिया ने इन दिनों मनोरोगियों की संख्या बढ़ा दी है। मनोचिकित्सकों की मानें तो तीन से चार महीनों में मनोरोगियों की संख्या में करीब चालीस फीसदी वृद्धि हुई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 04:06 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 04:06 PM (IST)
कोरोना के दूसरे लहर के बाद 40 फीसद लोग हो गए मनोरोगी, जानिए क्‍या हैं इसके लक्षण और उपचार
किसी को रोजगार की चिंता सता रही है तो किसी को अपने भविष्य की।

वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। कोरोना महामारी के तीसरे का डर अभी से लोगों को सताने लगा है। किसी को रोजगार की चिंता सता रही है तो किसी को अपने भविष्य की। कोविड फोबिया ने इन दिनों मनोरोगियों की संख्या बढ़ा दी है। मनोचिकित्सकों की मानें तो तीन से चार महीनों में मनोरोगियों की संख्या में करीब चालीस फीसदी वृद्धि हुई है। गत 18 महीने से कोरोना संक्रमण काल को लेकर लोगों में अनिश्चितता बनी हुई है। इन 18 महीनों में संक्रमण की रफ्तार में उतार - चढ़ाव देखने को मिला है।

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पहली लहर में संक्रमण का फैलाव कम रहा और जानें भी कम गईं। वहीं दूसरी लहर में संक्रमण का फैलाव अधिक हुआ और मौतें भी अधिक हुईं। हालांकि अप्रैल और मई में हाहाकार मचाने के बाद अभी संक्रमण की रफ्तार धीमी है। संभावित तीसरी लहर को लेकर अभी से लोग आशंकित है। इस कारण लोग कोविड फोबिया के शिकार होने लगे हैं। लोगों को रोजगार और भविष्य की चिंता सताने लगी है। लेकिन संभावित इसकी वजह से लोग कोविड सताने लगी है । पिछले तीन-चार महीनों में मनोरोगी तेजी से बढ़े हैं। निजी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या 40 फीसदी तक बढ़ी है। संक्रमण काल से पहले 30 से 40 मरीज जहां आते थे वहीं अब 50 से 60 मरीज आ रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक कोविड फोबिया, रोजगार और भविष्य की चिंता लोगों को मनोरोगी बना रही है।

शारीरिक दूरी की जगह बना ली सामाजिक दूरी : कोरोना संक्रमण को देखते हुए आपस में शारीरिक दूरी बनानी थी लेकिन दूसरी लहर में फैले संक्रमण में मरीजों और मौतों की संख्या को देखकर लोगों ने शारीरिक नहीं बल्कि सामाजिक दूरी बना ली है। कोविड से जान गंवाने वालों को अपनों का कंधा तक नहीं मिला। परिवार के सदस्यों के दूर रहने से संवेदनहीनता बढ़ी।मनोरोगियों की संख्या बढ़ाने में यह भी एक बड़ा कारण है।

यह है मनोरोग बढ़ने के प्रमुख कारण

- संक्रमण से परिवार में मौत होना

- अपनों से दूर रहना

- बीमार का हालचाल न लेना

- किसी समारोह में शामिल न होना

- आर्थिक रूप से चोट पहुंचना

- दवाईयों का खर्च बढ़ना

- मानसिक डर और भविष्य की चिंता

- तीसरे लहर में बच पाएंगे की नहीं

- बच्चों की शिक्षा का दबाव

- पोस्ट कोविड का दिमाग पर असर

- डर और चिंता से शुगर-बीपी का बढ़ना

इन लक्षणों के साथ पहुंच रहे मरीज

- सीने में दर्द

- कमर में दर्द

- पैरों में दर्द

- काम में रुचि न लगना

- स्वाद न आना

- अजीब सी गंध आना

- भूख न लगना

- नींद न आना

डॉक्टरों की सलाह

- अधिक समय तक अकेले में न रहें

- परिवार के सदस्य आपस में संवाद रखें

- संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें

- अपने को काम में व्यस्त रखें

- सुबह टहलें

- योग-व्यायाम करें

- खानपान पर ध्यान दें

- भरपूर नींद लें

बोले चिकित्‍सक : तीसरे लहर से आशंकित लोगों में घबराहट और बेचैनी की शिकायत बढ़ रही है। इससे ज्यादा शिकार युवा हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण कोविड फोबिया है। - डा. संजय गुप्ता, मनोचिकित्सक बीएचयू।


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