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Coronavirus से ठीक होने के बाद Lung Fibrosis का खतरा, जांच में देरी बन रही बड़ी वजह

होम आइसोलेशन या अस्पताल में रह कर कोरोना वायरस को मात देने वाले अब स्वास्थ्य संबंधी दूसरी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। ऐसे लोगों में लंग फाइब्रोसिस का खतरा बढ़ गया है। यह लोग चेस्ट इंफेक्शन की समस्या संग डाक्टरों के यहां पहुंच रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 08:20 AM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 01:53 PM (IST)
Coronavirus से ठीक होने के बाद Lung Fibrosis का खतरा, जांच में देरी बन रही बड़ी वजह
कोरोना को मात देने वालों में अब स्वास्थ्य संबंधी दूसरी दिक्कतों लंग फाइब्रोसिस का खतरा बढ़ गया है।

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। होम आइसोलेशन या अस्पताल में रह कर कोरोना को मात देने वाले अब स्वास्थ्य संबंधी दूसरी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। ऐसे लोगों में लंग फाइब्रोसिस का खतरा बढ़ गया है। यह लोग चेस्ट इंफेक्शन की समस्या संग डाक्टरों के यहां पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक महामारी के दौर में बुखार आने पर कोरोना जांच में देर होना इसकी प्रमुख वजह है।

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होम आइसोलेशन वाले 10 फीसद व अस्पताल में इलाज कराने वाले 30 फीसद मरीजों में यह समस्या देखने को मिल रही है। इसे अपने हाल पर छोड़ देने पर ठीक होने में लंबा वक्त लग सकता है। इससे स्वास्थ्य को काफी नुकसान भी पहुंच सकता है। बीएचयू अस्पताल के पूर्व टीबी एंड चेस्ट रोग विशेषज्ञ प्रो. एसके अग्रवाल के मुताबिक 2003 में सार्स कोरोना वायरस के प्रकोप के समय भी लंग फाइब्रोसिस के मामले सामने आए थे, जो 25 से 30 फीसद रहे। दरअसल, महामारी के दौर में बुखार आने पर कई बार लोग इसे सामान्य बुखार समझ लेते हैं और जांच कराने में देर कर जाते हैं। इस अवधि में कोरोना वायरस फेफड़े को काफी नुकसान पहुंचा चुका होता है। कोरेाना से ठीक होने के बाद भी ऐसे मरीजों को लंग फाइब्रोसिस से जूझना पड़ता है, जसिका प्रमुख लक्षण पैदल चलने पर सांसों का फूलना है। इसलिए दो से तीन दनि तक बुखार रहने पर कोविड-19 जांच जरूर करा लें। जल्द पुष्टि होने पर इलाज भी तत्काल शुरू हो जाता है। इससे फेफड़े को अधिक नुकसान नहीं पहुंच पाता है।

यह है लंग फाइब्रोसिस

कोविड-19 वायरस के कारण फेफड़े में केमिकल निकलते हैं, जो उसे बराबर नुकसान पहुंचाते हैं। परिणामस्वरूप फेफड़े का वह हिस्‍सा, जहां से आक्सीजन अवशोषित होता है और कार्बन डाईआक्साइड बाहर निकलता है, उसमें धीरे-धीरे सूजन आने लगती है। धीरे-धीरे यह मोटा होता चला जाता है और यहां रक्त के थक्के जमा होने लगते हैं। यह आगे चलकर लंग फाइब्रोसस में बदल जाता है। सही इलाज न मलिने पर यह स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।

उपलब्ध है इसका इलाज

देर होने पर समस्या बढ़ती चली जाती है और शरीर को नुकसान पहुंचता जाता है। प्रो. अग्रवाल के मुताबिक सही समय पर जांच व इलाज मिलने पर लंग फाइब्रोसिस को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। कोरोना से ठीक होने के बाद भी ऐसे लोग तनाव मुक्त रहे और भरपूर नींद लें।


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