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41 वर्ष बाद खत्‍म हुआ हाकी में ओलिंपिक पदक का सूखा, बनारस के ल‍ल‍ित उपाध्‍याय भी चमके

पद्मश्री मोहम्मद शाहिद विवेक सिंह व राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय बनारस के चौथे हाकी खिलाड़ी हैं ज‍िन्‍होंने ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व क‍िया। अपने चमकदार और ऐत‍िहास‍िक प्रदर्शन से 41 वर्ष बाद ओल‍िंप‍िक पदक का सूखा खत्‍म क‍िया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 11:42 AM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 12:16 PM (IST)
41 वर्ष बाद खत्‍म हुआ हाकी में ओलिंपिक पदक का सूखा, बनारस के ल‍ल‍ित उपाध्‍याय भी चमके
चमकदार और ऐत‍िहास‍िक प्रदर्शन से 41 वर्ष बाद ओल‍िंप‍िक पदक का सूखा खत्‍म क‍िया।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। पद्मश्री मोहम्मद शाहिद, विवेक सिंह व राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय बनारस के चौथे हाकी खिलाड़ी हैं, ज‍िन्‍होंने ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व क‍िया। अपने चमकदार और ऐत‍िहास‍िक प्रदर्शन से 41 वर्ष बाद ओल‍िंप‍िक पदक का सूखा खत्‍म क‍िया। आखिरी बार 1996 अटलांटिका ओलिंपिक राहुल सिंह ने खेला था। मास्को ओलिंपिक (1980) में मोहम्मद शाहिद ने टीम को स्वर्ण पदक दिलाया था। उसके बाद 1984 (लाल एंजिल्स), 1988 (सियोल) व 1996 (अटलांटा) के ओलिंपिक में टीम जरूर खेली, लेकिन झोली पदकों से खाली ही रही। कांस्‍य पदक के ल‍िए गुरुवार को खेले गए मुकाबले में टीम इंड‍िया शुरू से ही हावी रही और जर्मनी को 5-4 से श‍िकस्‍त दी।

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इस शानदार जीत के साथ टीम ने दुन‍िया को एक बार फि‍र अपने खेल से दीवाना बना द‍िया। टीम में बतौर फरवर्ड प्‍लेयर लल‍ित उपाध्‍याय ने भी जीत की इबारत ल‍िखने में महती भूमि‍का न‍िभाई। इस जीत के साथ बनारस और पूर्वांचल के हाकी भी उत्‍साह‍ित और जश्‍न मनाते नजर आए। ल‍ल‍ित उपाध्‍याय के श‍िवपुर स्‍थ‍ित आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। प‍िता सतीश उपाध्‍याय अपनी खुशी बयां करते हुए कहते हैं क‍ि बाबा व‍िश्‍वनाथ की कृपा है क‍ि बेटा खाली हाथ नहीं आ रहा है। सबसे बड़ी बात क‍ि ओल‍िंप‍िक में हाकी का 41 सालों से चला आ रहा सूखा आख‍िरकार खत्‍म हो गया। वहीं टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय के आवास भगतपुर थाना शिवपुर स्थित आवास पर पहुंच कर उनके माता-पिता को बधाई देने प्रभारी निरीक्षक शिवपुर भी पहुंचे।

टीम ने की थी शानदार वापसी : आस्ट्रेलिया के साथ मुकाबले में टीम थकी और बिखरी नजर आ रही थी, जिसकी वजह से करारी हार मिली थी। इसके बाद टीम ने जोरदार वापसी की और बाकी के मैचों में लगातार जीत दर्ज की। साई के पूर्व चीफ कोच व ललित के गुरु परमानंद मिश्र के मुताबिक किसी भी टीम के साथ यह सामान्य घटना है। जब टीम सेट नहीं हो पाती तो बिखराव नजर आता है। मगर भारतीय टीम ने जिस तेजी के साथ वापसी की वह काबिल-ए-तारीफ है। वरिष्ठ एवं युवा खिलाड़ियों के तालमेल से फारवर्ड लाइन में बहुत सुधार हुआ। हमारी गोलकीपिंग भी शानदार रही, जिसने मैचों का रूख भारत की ओर मोड़ने में महती भूमिका निभाई है। नई ऊर्जा के साथ भारतीय टीम टोटल गेम खेल रही है, जिसके चलते विपक्षी टीमों को पेनाल्टी कार्नर लेने का मौका कम ही म‍िला।

गजीपुर में उत्‍साह : टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय टीम द्वारा जर्मनी को 5-4 से हराये जाने के बाद खेल गांव करमपुर में हॉकी के खिलाड़ियों ने जुलूस निकालकर खुशी का इजहार किया। मेघबरन सिंह हॉकी स्टेडियम के प्रबंधक रहे स्व तेजबहादुर सिंह व ओलंपिक टीम में शामिल ललित उपाध्याय का फोटो लेकर छोटे-छोटे बच्चे हाथों में हॉकी एवं तिरंगा झंडा लिए चल रहे थे।


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