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बीएचयू में पैसे के अभाव में नहीं हुआ एडमिशन, जज ने खुद दी फीस, अब बीएचयू को मंत्रालय के निर्देश का इंतजार

उच्च न्यायालय से रुपयों के इंतजाम के लिए जोसा से समय बढ़वाने की अपील की थी। स्थिति देख खुद न्यायाधीश ने रुपयों की व्यवस्था की और जोसा तथा आइआइटी बीएचयू को उसे प्रवेश देने के लिए निर्देशित किया। इसके लिए तीन दिन की समय सीमा भी निर्धारित की।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 02:13 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 02:13 PM (IST)
बीएचयू में पैसे के अभाव में नहीं हुआ एडमिशन, जज ने खुद दी फीस, अब बीएचयू को मंत्रालय के निर्देश का इंतजार
उच्च न्यायालय से रुपयों के इंतजाम के लिए जोसा से समय बढ़वाने की अपील की थी।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। धनाभाव के चलते प्रवेश न ले सकी गरीब दलित छात्रा संस्कृति रंजन के मामले में आइआइटी बीएचयू,ज्वाइंट सीट अलोकेशन अथारिटी (जोसा) और भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करेगा। इस छात्रा के मामले उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने तीन दिनों के अंदर प्रवेश दिलाने का निर्देश जोसा और आइआइटी बीएचयू को दिया है। यही नहीं सीटें भर जाने की स्थिति में भी विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। इस मेधावी छात्रा के अकादमिक रिकार्ड को देखते हुए खुद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह ने उसे अपनी तरफ से 15000 रुपये मुहैया कराए।

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छात्रा गरीबी और पिता की बीमारी के कारण उत्पन्न आर्थिक समस्या के चलते 15000 रुपयों की व्यवस्था न हो पाने से गणित और कंप्यूटर इंजीनियरिंग से जुड़े कोर्स में प्रवेश लेने से चूक गई थी। उसका दावा है कि अथारिटी को उसने बार-बार पत्र लिखकर उसे रुपयों की व्यवस्था के लिए कुछ समय दिए जाने की गुहार लगाई थी, मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इस पर उसने उच्च न्यायालय से रुपयों के इंतजाम के लिए जोसा से समय बढ़वाने की अपील की थी। उसकी स्थिति देख खुद न्यायाधीश ने पहल करते हुए रुपयों की व्यवस्था की और जोसा तथा आइआइटी बीएचयू को उसे प्रवेश देने के लिए निर्देशित किया। इसके लिए तीन दिन की समय सीमा भी निर्धारित की।

इस संबंध में आइआइटी बीएचयू के अकादमिक मामलों के डीन प्रो. एसबी द्विवेदी ने बताया कि प्रवेश की प्रक्रियाओं के संबंध में आइआइटी बीएचयू या किसी भी संस्थान की कोई भूमिका नहीं होती। परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के बाद काउंसिलिंग के दौरान सब कुछ ज्वाइंट सीट अलोकेशन अथारिटी (जोसा) के यहां ही होता है। शुल्क आदि सब कुछ वहीं जमा होता है, छात्र को सिर्फ यहां प्रवेश दिया जाता है। ऐसे में उस छात्रा के साथ क्या हुआ, उसका प्रकरण यहां तो नहीं कुछ मालूम है। न ही अब तक संस्थान को इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना ही मिली है। हां, यदि हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है तो इस संबंध में अथारिटी और एमएचआरडी बीएचयू आइआइटी को जैसा निर्देश देगी, हम उसका पालन करेंगे। क्योंकि प्रक्रिया बंद हो जाने और सीटें भर जाने के किसी भी संस्थान को अतिरिक्त प्रवेश देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि आइआइटी बीएचयू में प्रवेश बंदहो चुका है, सभी सीटें भर चुकी हैं और आज से कक्षाएं भी प्रारंभ हो जाएंगी।


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