वाराणसी में राजघाट पुल पर हुए भगदड़ के लिए प्रशासन और आयोजक दोषी
वाराणसी में राजघाट पुल पर 15 अक्टूबर 2016 को हुई भगदड़ की जांच रिपोर्ट विधान सभा में मंगलवार को रखी गई।
लखनऊ, जेएनएन। वाराणसी में राजघाट पुल पर 15 अक्टूबर, 2016 को हुई भगदड़ की जांच रिपोर्ट विधान सभा में मंगलवार को रखी गई। सरकार ने इसके लिए अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति राजमणि चौहान की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस भगदड़ के लिए प्रशासन व आयोजक को दोषी ठहराया है। प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए उचित प्रबंध नहीं किया जबकि आयोजकों ने भी मनमानी की।
आयोग की रिपोर्ट के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में निष्कर्ष और कार्यवाही की भी लिखित जानकारी दी है। जयगुरुदेव सत्संग मंडल, मथुरा के तत्वावधान में वाराणसी जिले के कटेसर और डोमरी में सत्संग और शोभा यात्रा का आयोजन किया गया था। 15 अक्टूबर, 2016 को राजघाट पुल पर भगदड़ मच गई जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक यह शोभा यात्रा दिन में दस बजे आयोजित की गई थी लेकिन सुबह आठ बजे ही शुरू हो गई। आयोजकों ने मजिस्ट्रेट और पुलिस के निर्देशों का पालन नहीं किया। घटना के बाद प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की जो संख्या लगाई गई, अगर उसकी एक तिहाई संख्या भी पहले लगाई गई होती तो राजघाट पुल पर जाम की स्थिति और दुर्घटना को टाला जा सकता था। भीड़ नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने अपेक्षित प्रबंध नहीं किया।
यातायात नियंत्रण की भी नहीं थी व्यवस्था पुलिस ने यातायात नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं की थी। पुल पर वाहनों के आने जाने कारण अत्यधिक भीड़ हो गई। पूर्वी छोर पर दो मोटर साइकिलों के बीच विवाद उत्पन्न होने और घटना स्थल पर जाम लगने के साथ ही पुल टूटने की अफवाह फैल गई। इससे भगदड़ मच गई।
आयोग ने कहा शोभा यात्रा निकालने की अनुमति न दें आयोग ने ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए अपने सुझाव दिये हैं। कहा है कि धार्मिक, राजनीतिक या किसी अन्य शोभा यात्रा के लिए शहर क्षेत्र में अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर अनुमति न दी जाए।
पंकज महराज पर कार्रवाई न होने से पुलिस पर सवाल आयोग ने शोभा यात्रा की अगुवाई करने वाले जय गुरुदेव धार्मिक प्रचार संस्था के पंकज महराज पर पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर भी सवाल उठाये हैं। शोभा यात्रा में मात्र तीन हजार लोगों के सम्मिलित होने की जानकारी थी लेकिन संख्या बढ़ने पर नियंत्रण का कोई प्रयास नहीं किया। आयोग ने जब पंकज महराज से बात की तो उन्होंने झूठ बोला। शोभा यात्रा में 35 हजार श्रद्धालु शामिल हुए थे।