वाराणसी जल संस्थान में क्लोरीन गैस रिसाव की घटना की जांच कराकर दोषियों पर होगी कार्रवाई : रवींद्र जायसवाल
स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने कहा कि वाराणसी जल संस्थान में क्लोरीन गैस रिसाव की घटना की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई होगी।
वाराणसी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल मंगलवार की सुबह जल संस्थान पहुंच और महाप्रबंधक के साथ मौका मुआयना किया। पीड़ितों का हाल जाना, साथ ही उनके इलाज की जिम्मेदारी जल संस्थान को उठाने का निर्देश दिया। मंत्री को गैस लीकेज होने का कारण बताते हुए कहा कि महाप्रबंधक ने बताया कि क्लोरीन की कुछ खाली टंकी विगत10 वर्षों से कबाड़ में पड़ी हुई थी, संभवत किसी टंकी में गैस रह गया था जिससे रिसाव शुरू हो गया था। जानकारी होने पर परिसर में स्थित कर्मचारी और अधिकारी मौके पर पहुंचे पानी डालकर गैस का रिसाव बंद किया।
महाप्रबंधक ने स्वीकार किया कि जल संस्थान के आसपास के कुछ मकानों के लोग निश्चित रूप से प्रभावित हुए हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। मंत्री ने निर्देश दिया कि परिसर की सुरक्षा बढ़ाई जाए और मशीन व अन्य उपकरणों के रखरखाव पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने इस बात की भी हिदायत दी कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न होने पाए। साथ ही कल की घटना की जांच कराकर दोषी पाए जाने वालों पर कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि सोमवार को देर रात भेलूपुर स्थित जल संस्थान परिसर में टंकी से क्लोरीन गैस का रिसाव होने और गैस से दर्जनों लोगों बीमार हो गये थे।
नगर आयुक्त ने गठित की जांच कमेटी
जल कल परिसर में सोमवार की देर शाम क्लोरीन गैस के रिसाव की जांच के लिए नगर आयुक्त गौरांग राठी ने दो सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है। इस टीम में अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार सिंह व जल निगम के चीफ इंजीनियर ए के पुरवार शामिल किए गए हैं। उन्हें 48 घण्टे में जांच रिपोर्ट देनी है। इस क्रम में जांच समिति के सदयों ने जलकल परिसर में पहुंचकर उक्त स्थल को देखा जहां से गैस लीकेज हुई। उन्होंने कर्मचारियों व महाप्रबन्धक नीरज गौड़ और सचिव रघुवेन्द्र प्रताप से से पूछताछ की।
कबाड़ में रखा था डेढ़ दशक पुराना सिलेंडर
जन स्वास्थ्य को लेकर जलकल विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई। क्लोरीन गैस के जिस सिलेंडर से रिसाव हुआ वह डेढ़ दशक पुराना है। निष्प्रयोज्य होने के कारण उसे जलकल दफ्तर के कबाड़ में रख दिया गया था। इसमें सुरक्षा का ख्याल तक नहीं रखा गया। खास यह कि घटना के दौरान जलकल महाप्रबंधक परिसर में पेयजल प्रबंधन से जुड़े कार्यों का जायजा ले रहे थे। जानकारी होते ही मौके पर पहुंचे। अन्य कर्मचारी व तकनीकी विशेषज्ञ भी दौड़़ते-भागते वहां आ गए। आनन-फानन सिलेंडर पानी के टैंक में फेंका गया। अग्निशमन यंत्र से भी बचाव किया गया। इस बीच अग्नि शमन दल आ गया और राहत व बचाव का कार्य शुरू किया गया।
दो से तीन किलो थी गैस
आकलन किया जा रहा है कि सिलिंडर में दो से तीन किलो तक गैस रही होगी जबकि सिलिंडर की क्षमता लगभग 25 किलोग्राम है। इसे कबाड़ के बीच पिछले हिस्से में रखा गया था। इस कारण बचाव कार्य में और भी परेशानी हुई। घटना के बाद जल कल महाप्रबंधक नीरज गौड़ ने कबाड़ की सफाई कराने के साथ ही इससे संबंधित निविदा कर इसे निस्तारित करने का आदेश दिया।
जलकल विभाग की इस लापरवाही को लेकर कार्रवाई की मांग की
जलकल विभाग की इस लापरवाही को लेकर लोगों ने कार्रवाई की मांग की है। दुर्गाकुंड निवासी पूर्व पार्षद अनिल शर्मा ने कहा कि अब तक जलकल दूषित जल पिलाकर मार रहा था तो अब जहरीली गैस से मारने की कोशिश की है। दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। अस्सी निवासी पूर्व पार्षद गोविंद शर्मा ने घटना की जांच कराने की मांग की।