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आजमगढ़ में विधायक निधि प्रकरण में तत्कालीन सीडीओ और पीडी पर कार्रवाई को शासन को भेजा

विधायक निधि के गोलमाल के मामले में डीएम नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कार्रवाई करना शुरू कर दिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 07:45 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 01:50 PM (IST)
आजमगढ़ में विधायक निधि प्रकरण में तत्कालीन सीडीओ और पीडी पर कार्रवाई को शासन को भेजा
आजमगढ़ में विधायक निधि प्रकरण में तत्कालीन सीडीओ और पीडी पर कार्रवाई को शासन को भेजा

आजमगढ़, जेएनएन। जनपद में विधायक निधि के गोलमाल के मामले में डीएम नागेंद्र प्रसाद सिंह ने कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। ऐसे विद्यालयों को मान्यता देकर विधायक निधि भुनाई गई है जो विद्यालय वास्तव में धरातल पर नहीं है। ऐसे ही एक मामले में जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने आला अफसरों समेत दोषी तत्कालीन सहायक लेखाकार अनिल श्रीवास्तव डीआरडीए को निलंबित करने, लेखाकार डीआरडीए शिवमोहन ङ्क्षसह को आंतरिक लेखा परीक्षा को विभागीय कार्रवाई करने, एई डीआरडीए एनबी सिंह, जेई डीआरडीए अतुल कुमार सिंह के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई करने हेतु शासन को संस्तुति की है। यही नहीं जिलाधिकारी ने इस प्रकरण से संबंधित तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार मिश्र, पीडी शिव कुमार पांडेय पर शिथिल पर्यवेक्षण के लिए शासन को कार्रवाई करने हेतु संस्तुति की है। 

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जिलाधिकारी ने विद्यालय का गलत ढंग से मान्यता देने पर तत्कालीन डीआईओएस हरिश्चंद्र नाथ को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने तथा डीआईओएस कार्यालय के तत्कालीन बाबू को निलंबित करने की संस्तुति की है। गाटा संख्या-21 पर विद्यालय के संबंध में गलत रिपोर्ट देने पर लेखपाल को निलंबित, कानूनगो को विभागीय कार्रवाई करने, तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। इसी के साथ ही प्रबंधक उग्रसेन सिंह से विधायक निधि के 20 लाख की वसूली करने तथा एफआइआर करने के निर्देश दिया है। इससे महकमे में हड़कंप की स्थिति व्याप्त है। विधायक निधि का मामला काफी दिनों से चल रहा है।

विधायक निधि की धनराशि का विद्यालय के नाम पर गलत प्रयोग करने की शिकायत को संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने प्रकरण की जांच हेतु मख्य विकास अधिकारी की अध्यक्ष्ता में चार सदस्यीय टीम गठित की थी। गठित समिति द्वारा जांच में पाया गया कि विधायक निधि का प्रयोग ऐसे विद्यालय पर किया गया है, जो वास्तव में जमीन पर बने ही नहीं है।

जांच में पाया गया कि ग्राम बसीरपुर के प्रबंधक उग्रसेन सिंह द्वारा गाटा संख्या-21 पर 2013-14 में स्कूल की मान्यता ली गयी है जबकि वास्तव मेें जिस स्कूल से मान्यता ली गयी वह क्यामपुर में संचालित प्राथमिक विद्यालय को दिखाकर मान्यता ली गई है। इसी के साथ ही विद्यालय के नाम पर पूर्व विधायक कैलाश यादव द्वारा पांच-पांच लाख की चार किस्तों में 20 लाख की धनराशि विधायक निधि से स्वीकृत की गयी है। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा समिति की जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रस्तुत की गई और उन्होंने सभी के विरुद्ध कार्रवाई की है।  


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