Move to Jagran APP

Abdul Hameed Birth Anniversary भारत के इस वीर सपूत ने पाक के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था

1965 के युद्ध का जिक्र आते ही अब्दुल हमीद की वीरता का जिक्र जरूर आता है। भारत के इस वीर सपूत ने अपनी वीरता के बल पर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 05:47 PM (IST)
Abdul Hameed Birth Anniversary भारत के इस वीर सपूत ने पाक के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था
Abdul Hameed Birth Anniversary भारत के इस वीर सपूत ने पाक के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था

वाराणसी, जेएनएन। वीर अब्दुल हमीद यूपी के अकेले ऐसे शहीद हैं, जिन्हें सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।1965 के युद्ध का जिक्र आते ही अब्दुल हमीद की वीरता का जिक्र जरूर आता है। भारत के इस वीर सपूत ने अपनी वीरता के बल पर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था। महज 32 साल की उम्र के इस नौजवान ने पाकिस्तान से हुए इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी। इनका जन्‍म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के धामूपुर गांव में हुआ था।1965 में जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया तो भारत के वीर सपूतों ने मोर्चा संभाला। आठ सितंबर की रात अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में तैनात थे। इसी मोर्चे पर पाकिस्तान ने अपने अपराजेय माने जाने वाले टैंक अमेरिकन पैटन को लड़ाई में उतारा। पाक के इन टैंकों ने खेमकरण सेक्टर में हमला कर दिया। देश के वीर सपूत अब्दुल हमीद ने भी भारतीय सैनिकों के साथ मोर्चा संभाला।

loksabha election banner

बुलंद हौसलों के सिवाए कोई हथियार नहीं था...

अब्दुल हमीद के पास बुलंद हौसलों के सिवाए कोई हथियार नहीं था। हमीद बिना अपनी जान की परवाह किए पाकिस्तानी टैंकों के सामने खड़े हो गए। उस वक्त उनके पास सिर्फ गन माउनटेड जीप थी। उन्होंने अपने अनुभव से पाक टैंकों की कमजोरी का पता लगा लिया।हमीद ने अकेले ही पाकिस्तान के 7 टैंकों को ध्वस्त कर दिया। हमिद और उनके साथियों के हौसले के सामने पाक सैनिक ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और वापस लौटने को मजबूर हो गए। वीर हमीद यहां भी नहीं रुके, वो वापस भाग रहे पाक सैनिकों का पीछा करने लगे।इसी दौरान उनकी जीप पर एक बम का गोला आ गिरा। इसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। 10 सितंबर 1965 को वे शहीद हो गए। सरकार ने अब्दुल हमीद की वीरता को सलाम करते हुए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र और फिर सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा। 

पाकिस्तान के कई टैंकों को ध्वस्त कर दिया था...

1965 के युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद के साहसिक योगदान के कारण मोर्चे पर भारतीय सेना के मनोबल में बहुत बढ़ोत्तरी हुई। हमीद की शहादत के बाद उनकी पोस्ट पर भारतीय सैनिकों ने मोर्चा लेते हुए पाकिस्तान के कई और टैंकों को ध्वस्त कर दिया था ।पाकिस्तान को अपने पैंटन टैंकों पर बड़ा नाज था। ये टैंक सब कुछ रौंदते हुए भारत की सीमा में घुसते जा रहे थे। यह देख अब्दुल हमीद अपने साथियों के साथ ललकारते हुए आगे बढ़े। उनकी एंटी टैंक बंदूकों ने आग उगलना शुरू किया और देखते ही देखते तीन टैंक क्षण भर में ध्वस्त हो गए, जिससे पाकिस्तानी हमलावरों को मुंह की खानी पड़ी। सीने में गोली लगने से वीर अब्दुल हमीद वीरगति को प्राप्त हो गए। इस वीर सपूत का नाम आज भी पूरा देश आदर के साथ लेता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.