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गजब हो गया... बनारस में एक अफवाह ने स्‍कूलों में बच्‍चों की अचानक कम कर दी संख्‍या varanasi news

इधर बच्चा चोरी की अफवाह फैली उधर अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया।

By Edited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 01:40 AM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 08:38 AM (IST)
गजब हो गया... बनारस में एक अफवाह ने स्‍कूलों में बच्‍चों की अचानक कम कर दी संख्‍या varanasi news
गजब हो गया... बनारस में एक अफवाह ने स्‍कूलों में बच्‍चों की अचानक कम कर दी संख्‍या varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। एक कहावत है कि कौआ कान ले गया। कुछ इसी तरह है इस समय फैल रही बच्चा चोरी की अफवाह भी। यानी कौआ कान ले गया कि नहीं यह किसी ने नहीं देखा मगर कौआ पकड़ने को दौड़ पड़े। इधर, बच्चा चोरी की अफवाह फैली, उधर अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया। यह जानने का प्रयास नहीं किया कि किस स्कूल से बच्चा चोरी हुआ। वे बस एक रट लगाए हुए हैं कि बच्चों की चोरी की जा रही है, इसलिए हम उन्हें स्कूल नहीं भेज सकते।

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पचास फीसद तक घटी उपस्थिति : बच्चा चोरी की अफवाह से जनपद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति औसतन 50 फीसद घट गई है। अफवाह का सर्वाधिक असर आराजीलाइन ब्लॉक के स्कूलों में देखने को मिल रहा। कई स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति करीब 71 फीसद घट गई है।

अभिभावकों को दे रहे समझाइश : बच्चों की घटती उपस्थिति को देखते हुए हेडमास्टर व अध्यापक खुद अभिभावकों से संपर्क कर रहे हैं। अध्यापकों की टोली उनका भ्रम दूर करने में जुटी है। बावजूद इसके वे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में कुछ विद्यालयों के अध्यापक घर जाकर बच्चों को स्कूल ला रहे हैं। कुछ विद्यालयों ने बच्चों को लाने व ले जाने का जिम्मा रसोइया को दिया है।

बच्चों को ग्रुप में आने की सलाह : अभिभावकों के रुख को देख अध्यापक प्रार्थनासभा में बच्चों को जागरूक कर रहे हैं। गु्रप में स्कूल आने-जाने की सलाह दी जा रही है। घर से सीधे स्कूल आने, रास्ते में अनजान व्यक्ति से बात न करने की हर दिन ताकीद दी जा रही है। हालांकि, प्रयास के बावजूद मुस्लिम इलाकों से कई बच्चे स्कूल नहीं आ रहे। उनके अभिभावकों को ग्राम प्रधान भी समझाने में जुटे हुए हैं।

बच्चों को लाने के साथ ले जा रहे : बच्चा चोरी के अफवाह के चलते कई अभिभावक अब बच्चों को स्वयं स्कूल छोड़ने व लेने आ रहे हैं। ज्यादातर बच्चों के अभिभावक कम पढ़े-लिखे हैं, जिससे उन्हें समझाने में शिक्षकों को पसीना आ जा रहा। हालांकि शिक्षकों को उम्मीद है कि अभिभावकों का भ्रम दूर होगा और वे पहले की भांति बच्चों को स्कूल भेजेंगे।


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