Vasant Panchami पर सिद्ध योग व गुरुवार का दुर्लभ संयोग, माघ मास की प्रमुख स्नान-दान तिथि, अपुच्छ मुहूर्त की मान्यता
सनातन धर्म में माघ शुक्ल पंचमी वसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है। माघ मास का चौथा प्रमुख स्नान पर्व इस बार 30 जनवरी को है।
वाराणसी, जेएनएन। सनातन धर्म में माघ शुक्ल पंचमी वसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है। माघ मास का चौथा प्रमुख स्नान पर्व इस बार 30 जनवरी को है। तिथि विशेष को सिद्ध योग व गुरुवार का संयोग खास बना रहा है। पंचमी तिथि 29 जनवरी की सुबह 8.18 बजे लग रही है जो 30 को की सुबह 10.28 बजे तक रहेगी। मान्यता है कि वाग्देवी मां सरस्वती का पूजन और वसंत मास में उनका ध्यान ज्ञान की अभिवृद्धि होती है। वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भी सरस्वती की पूजा का विधान काफी समय से रहा है, इस दिन बीएचयू में भी विशेष आयोजन किया जाता है।
पूजन विधान
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार वसंत पंचमी की मान्यता अपुच्छ मुहूर्त की है। इसी दिन वाणी, ज्ञान, बुद्धि व विवेक की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि माघस्य शुक्ल पंचम्याम विद्यारंभ दिनोदिवा, पूर्वेहि संयमम कृत्वा तत्र श्यात संवत: शुचि। अर्थात माघ शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी पर संयमपूर्वक प्रात:काल स्नान संध्या, तर्पण के बाद कलश स्थापन कर गणेश, सूर्य, अग्नि, विष्णु, शिव, दुर्गा आदि देवी-देवताओं की नैवेद्य आदि से पूजनोपरांत माता सरस्वती का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। इस दिन वाग्देवी के पूजन से जीवन में सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
कामदेव को समर्पित महोत्सव
वसंत पंचमी ऋतु परत्व त्योहार है। शास्त्रों में कहा गया है कि मधु माधव वसंत: श्यात..., अर्थात वसंत ऋतु चैत्र व वैशाख है लेकिन यह वसंत पंचमी शिशिर ऋतु में पड़ती है। वसंत ऋतु को ऋतुराज माना गया है। यह वसंत के स्वागत का पर्व है। इस तिथि पर रतिकाम महोत्सव की भी मान्यता है। रतिकाम देव की विधि-विधान से पूजा अर्चना से गृहस्थ जीवन सुखमय, हर कार्य में उत्साह, दांपत्य प्रेम में वृद्धि व वाणी में ओज आता है। तिथि विशेष पर ही होलिका दहन के लिए होलिका गाड़ी जाती है।