बीएचयू में विकास के नाम पर काट डाले 770 पेड़, सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में आया सामने
काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर हरियाली और अद्भुत छटा के लिए विश्व विख्यात है। मगर विकास के नाम पर इस हरियाली को भारी क्षति पहुंचाई गई।
वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर हरियाली और अद्भुत छटा के लिए विश्व विख्यात है। मगर विकास के नाम पर इस हरियाली को भारी क्षति पहुंचाई गई। एक आरटीआइ के जवाब में विवि प्रशासन ने स्वीकार किया कि पिछले पांच साल में कुल 770 पेड़ काटे गए।
हालांकि विवि ने ये भी बताया कि काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए परिसर में कुल 1540 पौधे रोपे गए हैं। दस वर्ष पूर्व विवि परिसर में कितने फीसद हरियाली थी, वर्तमान में बीएचयू का हरित क्षेत्र कितना है, वायु प्रदूषण सूचकांक मापन के लिए विवि परिसर में कितने स्थानों पर यंत्र लगाए गए हैं आदि सवाल भी आरटीआइ में पूछे गए थे, जिनके जवाब अब तक विवि की ओर से नहीं मिले हैं। पिछले पांस साल के दौरान ट्रामा सेंटर, बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड स्टेम सेल रिसर्च सेंटर, शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी सेंटर, महामना कैंसर हास्पिटल, सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर, वैदिक विज्ञान केंद्र आदि भवनों का निर्माण कराया गया, जिसके लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हुई थी।
46200 लीटर ऑक्सीजन का प्रतिदिन नुकसान
पर्यावरण विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी के अनुसार एक औसत पेड़ रोजाना करीब 55-60 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करता है। वहीं एक सामान्य व्यक्ति को रोजाना 550 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस लिहाज से देखा जाए तो बीएचयू में 770 पेड़ कटने के बाद प्रतिदिन 46200 लीटर ऑक्सीजन कम बन रहे हैं यानी करीब 84 व्यक्तियों के रोजाना की जरूरत का ऑक्सीजन बीएचयू में नहीं बन पा रहा है।