गंगा को प्रदूषित करने पर 45 लाख का जुर्माना, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को भेजा पर्यावरणीय क्षति का ब्योरा
एसटीपी संचालित करने वाली जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर जुर्माना लगाने की संस्तुति का निर्देश मिला।
वाराणसी, जेएनएन। गंगा के निर्मलीकरण को लेकर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गंभीर हो गया है। बीते दिनों जांच के दौरान दीनापुर में स्थापित 140 एमएलडी के नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कार्य क्षमता मानक के अनुरूप नहीं मिली थी, जिससे गंगा में छोड़ा जा रहा शोधित पानी प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा था। इस लापरवाही को बोर्ड ने गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी को अवगत कराया, जहां से पर्यावरणीय क्षति का आकलन कर एसटीपी संचालित करने वाली जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर जुर्माना लगाने की संस्तुति का निर्देश मिला।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्थानीय स्तर पर आकलन कर करीब 45 लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षति की रिपोर्ट तैयार की गई है जिसे एनजीटी को भेजा जा चुका है। एनजीटी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए निर्देश जारी कर कहा है कि जुर्माना से पहले दोबारा एसटीपी के शोधन क्षमता की जांच की जाए। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अलावा एसटीपी संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाली गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के विशेषज्ञों की संयुक्त टीम बनाई जाए। जांच अविलंब पूरी कर रिपोर्ट को मुख्यालय भेजा जाए, जिसके बाद संस्तुति की हुई राशि के अनुरूप जुर्माना तय कर वसूली की जाएगी। प्रदूषण बोर्ड ने पूर्ववर्ती रिपोर्ट के आधार पर एसटीपी की कार्य क्षमता ठीक न होने पर गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसरों से स्पष्टीकरण भी मांगा है।
बोले अधिकारी : 'बीते दिनों दीनापुर में स्थापित 140 एमएलडी शोधन क्षमता की एसटीपी की जांच हुई थी, जिसमें शोधन मानक क्षमता 10 बीओडी के सापेक्ष शोधित पानी 27 बीओडी का मिला। बोर्ड ने जांच रिपोर्ट को गंभीरता लेते हुए जुर्माना की संस्तुति की है।' -कालिका सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
22 को आ रही एनएमसीजी की टीम
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अपग्रेड हो रहे प्रयोगशाला का जायजा लेने 22 अक्टूबर को एनएमसीजी के टीम बनारस आ रही है। तीन दिवसीय दौरे के दौरान टीम के सदस्य प्रयोगशाला का निरीक्षण करेंगे और गंगा, वरुणा, गोमती, तमसा समेत गंगा की अन्य सहायक नदियों का भी मुआयना करेंगे।