Sanskrit University : अंतरराष्ट्रीय छात्रावास में रहने वाले म्यांमार, भूटान व नेपाल के 40 छात्र फंसे
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्रावास में रहने वाले विदेशी छात्रों का। अंतरराष्ट्रीय छात्रावास में करीब 40 विद्यार्थी हैं।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए दर्जनों ट्रेन व फ्लाइट निरस्त किए जा चुके हैं। देश व राज्य की सीमाएं सील कर दी गई है। ऐसे में हम कहां जाएंगे और कैसे घर जाएं। यह दर्द है संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्रावास में रहने वाले विदेशी छात्रों का। अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास में करीब 40 विद्यार्थी हैं।
संस्कृत विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्रावास के 26 कमरे 72 विद्यार्थियों आवंटित किया गया है। इसमें म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान व सीमांत प्रदेशीय छात्र शामिल हैं। एक कक्षा में तीन-तीन छात्र रह रहे हैं। विवि प्रशासन ने छात्रों को शनिवार तक छात्रावास खाली करने का अल्टीमेटम दिया था। वहीं विदेशी छात्रों का कहना है कि हम लोगों के लिए तत्काल छात्रावास छोडऩा संभव नहीं है। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कई देशों की सीमाएं सील कर दी गई है। वहीं कई ट्रेन व फ्लाइट भी निरस्त कर दिया गया है। परिसर के बाहर हम लोगों को कोई किराये पर कमरा देने को तैयार नहीं हैं। इसे देखते हुए विदेशी छात्रों ने कुलपति से छात्रावास खाली न कराने का अनुरोध किया है। हालांकि वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास में करीब 40 विद्यार्थी ही रह गए हैं। इसमें ज्यादातर म्यांमार के हैं। इसके अलावा नेपाल, भूटान व कुछ छात्र हिमाचल प्रदेश के हैं।
कुलपति ने किया निरीक्षण
कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास का निरीक्षण किया। विदेशी छात्रों से बातचीत कर समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने सम्पत्ति अधिकारी से छात्रावास की साफ-सफाई का निर्देश दिया।
विदेशी छात्रों को दी मोहलत
ट्रेन व फ्लाइट की समस्या को देखते हुए कुलपति ने फिलहाल विदेशी छात्रों को छात्रावास में रहने की छूट दे दी है। उन्होंने छात्रों ने अनावश्यक छात्रावास या परिसर में बाहर न निकलने की हिदायत दी है। परिचय पत्र दिखाने के बाद ही छात्रों को छात्रावास से आने-जाने की अनुमति होगी।
विद्यार्थियों से बातचीत
विश्वविद्यालय ने छात्रावास खाली करने का नोटिस दिया है। घर जाने का मन भी है लेकिन तत्काल भूटान जाना संभव नहीं है।
-जिगमे येशे ज्ञम्छो (भूटान), शास्त्री-द्वितीय खंड।
कोरोरा वायरस को देखते हुए ट्रेन व प्लेन सेवा बंद कर दिया गया है। ऐसे में छात्रावास छोडऩा फिलहाल संभव नहीं है।
- रिगजीन र्दोजे (भूटान), शास्त्री-प्रथम खंड।
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए नेपाल की सीमा सील करने की सूचना मिल रही है। ऐसे में भारत छोडऩा संभव नहीं होगा।
- भूमिराज ढुंगाना (नेपाल), आचार्य-द्वितीय खंड।
22 मार्च को जनता कफ्र्यू के तहत यातायात के सभी साधन बंद कर दिए गए हैं। कई ट्रेन निरस्त हो चुका है। ऐसे में छात्रावास में ही रहने का निर्णय किया है।
-सन्नी नेत्री (हिमाचल प्रदेश), आचार्य द्वितीय खंड।