38 वें अंतरराष्ट्रीय कार्पेट एक्सपो की वाराणसी में धूमधाम से शुरुआत, देश विदेश से जुटे शीर्ष निर्यातक और आयातक
कार्पेट इंडस्ट्री पूर्वांचल के लिए डालर कमाने का बड़ा जरिया भी साबित होता रहा है। शुक्रवार से 38 वां कार्पेट एक्सपो संपूर्णानंद संस्कृत विवि में शुरु हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल में कार्पेट उद्योग लंबे समय से फल फूल रहा है साथ ही कार्पेट इंडस्ट्री पूर्वांचल के लिए डालर कमाने का बड़ा जरिया भी साबित होता रहा है। शुक्रवार से 38 वां कार्पेट एक्सपो संपूर्णानंद संस्कृत विवि में शुरु हुआ। आयोजन का शुभारंभ टेक्सटाइल सेक्रेटरी रवी कपूर ने किया जो 11-14 अक्टूबर तक आयोजित होगा। इस दौरान काफी कालीन निर्माता और खरीदारों का भी जमावड़ा शुरू हुआ है। हालांकि पहले दिन लोगों का कम ही रुझान रहा। आयोजन से जुड़े लोगों के अनुसार अब दूसरे दिन से यहां पर खरीदारों का हुजूम उमड़ेगा। वहीं कालीन निर्माताओं को भी मंदी के दौर में त्योहारी सीजन से लाभ की उम्मीद है। वहीं थोक के भाव बुकिंग के लिए भी कालीन निर्माताओं ने कीमती उत्पादों को स्टाल पर सजाना शुरू कर दिया है।
यह कालीन निर्यात संवर्धन परिषद का वाराणसी में 15वां एवं देश का 38 वां मेला है जिसमें भाग लेने के लिए चीन-अमेरिका समेत कई देशों से कालीन आयातक पहुंच रहे हैं। देश के 230 कालीन निर्यातक प्रदर्शनी में अपने उत्पादों से इन्हें लुभाएंगे। परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने इंडिया कार्पेट एक्स्पो की जानकारी दी। बताया कि कई राज्यों से 230 से अधिक कालीन निर्माता/निर्यातक अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगायेंगे। कालीन आयातक कई देशों के 400 खरीदार शिरकत करेंगे। आयोजन छह हजार वर्ग फीट में एरिया में होगा। स्टालों पर हस्तनिर्मित कालीन, फ्लोर कवरिंग के बेजोड़ नमूने शामिल किए गए हैं।
चीन-अमेरिका के सबसे ज्यादा खरीदार
कार्पेट एक्सपो में 49 देशों से पहुंच रहे खरीदारों में अमेरिका से 57 और चीन 36 ग्राहक पहुंचे हैं। कुवैत, कतर, जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा, चीन, आस्ट्रेलिया, नार्वे, बुल्गारिया, इजरायल, मारीशस, ताइवान, वियतनाम, नेपाल, अफगानिस्तान, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, यूक्रेन से भी आयातक जल्द ही आएंगे। कजाकिस्तान का प्रतिनिधित्व इस आयोजन में पहली बार हो रहा है।
मंदी की चपेट में कालीन उद्योग
वहीं चेयरमैन ने भी इस उद्योग में मंदी की बात स्वीकारी। बोले- लाखों लोगों को रोजगार देने और 12 हजार करोड़ के टर्नओवर वाले कालीन उद्योग से जुड़े बुनकर, मजदूर मुश्किल में है। 20 फीसद बेरोजगार हुए है, जिसमें बढ़ोतरी की आशंका है। करीब 60 फीसदी उत्पाद वाले भदोही और मीरजापुर में खासा असर है। केंद्र सरकार से रियायतों के लिए प्रस्ताव भी दिया गया है।