वाराणसी में नीलगिरी इंफ्रासिटी पर अब तक 38 एफआइआर दर्ज, ईडी को सौंपी जाएगी फाइल
करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोप में नीलगिरी इंफ्रासिटी कंपनी के संचालकों के खिलाफ अब तक कमिश्नरेट के विभिन्न थानों में 38 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इसमें कंपनी के सीएमडी विकास सिंह समेत तीन आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। करोड़ों की धोखाधड़ी के आरोप में नीलगिरी इंफ्रासिटी कंपनी के संचालकों के खिलाफ अब तक कमिश्नरेट के विभिन्न थानों में 38 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इसमें कंपनी के सीएमडी विकास सिंह समेत तीन आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है। गुरुवार को पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने संचालकों के संबंध में जांच के लिए गठित एसआइटी में शामिल एडीसीपी वरुणा जोन प्रबल प्रताप सिंह, एसीपी चेतगंज नितेश प्रताप सिंह व तीन थाना प्रभारियों संग बैठक कर आवश्यक दिशानिर्देश दिए।
बैठक में दर्ज मुकदमों की विवेचनाओं के संभावित बिंदुओं पर चर्चा की गई। अब तक गिरफ्तार आरोपितों द्वारा अर्जित संपत्तियों के संबंध में भी जानकारी के लिए टीम को निर्देश दिए गए। टीम में शामिल सभी सदस्यों को अलग-अलग बिंदुओं पर कार्रवाई के लिए पुलिस आयुक्त ने निर्देश दिए। टीम ने आरोपितों की संपत्तियों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। इनकी अचल संपत्ति को जल्द ही गैंगस्टर एक्ट के तहत जब्त किए जाएंगे। उनके बैंक खाते भी सीज कराए जाएंगे। ईडी भी मामले की जांच शुरू करेगी।
11 चेक दिए थे, सभी बाउंस
चेतगंज थाने में कंपनी के संचालकों के खिलाफ ताजा मुकदमा गाजीपुर के परतपुर निवासी आनंद कुमार ने दर्ज कराया। उन्होंने पड़ाव में 13 सौ वर्ग फुट जमीन के लिए 10 लाख 40 हजार रुपये में जून 2015 में विकास व उसकी पत्नी से सौदा किया था। आठ लाख एक हजार 666 रुपये अग्रिम देकर उन्होंने बैनामा कराया था। आरोपितों की कारस्तानी की जानकारी होने पर उन्होंने अपना पैसा वापस मांगा। बीते अप्रैल से अगस्त के बीच विकास ने उन्हें 11 चेक दिए और सभी बाउंस हो गए।
पांच मुकदमों में पुलिस ने लगा दी थी अंतिम रिपोर्ट
राजनीति के साथ पुलिस और प्रशासन में आरोपितों की पैठ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके खिलाफ पूर्व में दर्ज पांच मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई थी। इसका मतलब यह हुआ कि पुलिस को उनके खिलाफ कोई आरोप सही नहीं मिले थे। उन पांचों मुकदमों की फिर से विवेचना का आदेश पुलिस आयुक्त ने दिया है। कहा है कि उन्हें यह भी बताया जाए कि पूर्व में विवेचकों को आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई साक्ष्य क्यों नहीं मिले थे। पीडि़तों की बातों को सिर से क्यों खारिज कर दिया। रिपोर्ट के आधार पर विवेचकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकरण की जांच अन्य जो भी एजेंसियां करेंगी, पुलिस उनका पूरा सहयोग करेगी। मुकदमों की फाइल ईडी को सौंपी जाएगी।