गंगा को गंदा किया तो 25 हजार जुर्माना, एनजीटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दंड लगाने को भेजा आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी व उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा को गंदा करने वालों को दंडित करने का आदेश जारी किया है।
वाराणसी, जेएनएन। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी व उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा को गंदा करने वालों को दंडित करने का आदेश जारी किया है। इसके लिए 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान तय हुआ है। यह गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषित करने पर लागू होगा।
वहीं गंगा निर्मलीकरण को लेकर केंद्र सरकार की मंशानुसार प्रदेश सरकार ने सख्ती करनी शुरू कर दी है। एनजीटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी गाइड लाइन को कड़ाई से लागू करने के लिए नगर निगम व जिला प्रशासन को आदेश जारी किया है। नए प्रावधान के अनुसार नगर निगम व जिला प्रशासन के साथ क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई गंगा प्रहरियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार भी की जाएगी। इस बारे में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने कहा कि गंगा में गंदगी फेंकने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए नगर निगम समेत अन्य संबंधित विभागों को जुर्माने से संबंधित निर्देश व सुझाव जारी कर दिया गया है।
शहरी क्षेत्र में सीसी टीवी कैमरे
शहरी क्षेत्र में गंगा घाटों की निगरानी के लिए सीसी टीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं जिसे सिटी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ा जाएगा। प्रमुख घाटों पर 24 घंटे सातों दिन स्वच्छता कर्मी तैनात रहते हैं जिनको सूचित कर गंगा को गंदा करने वाले संबंधित व्यक्ति को पकड़ कर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।
आवासीय व व्यवसायिक भवनों से एक लाख रुपये तक जुर्माना
गंगा किनारे के आवासीय व व्यवसायिक भवनों के लिए अलग से प्रावधान किया गया है। आवासीय भवनों के अलावा होटल, रेस्टोरेंट व अन्य प्रतिष्ठानों से निकलने वाला सीवेज व गंदा पानी गंगा में जाता है तो इनके मालिकों व संचालकों पर 25 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा।
ऐसे लगेगा जुर्माना
-5000 से 25000 रुपये तक गंगा घाट पर कपड़े धोने पर
-10000 रुपये पूजा सामग्री, कपड़े, प्रतिमा आदि विसर्जन पर
-1000 से 2000 रुपये तक गंगा किनारे मल-मूत्र विसर्जन