Varanasi में आफलाइन में 25 और आनलाइन क्लास में 80 फीसद उपस्थिति,वर्चुअल क्लास का महत्व बरकरार
स्कूल-कालेजों में पठन-पाठन अब व्यवस्था पटरी पर आई है। वहीं नवीं से बारहवीं तक के कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति 42 फीसद पर आकर टिक गई है। ज्यादातर अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेजने के स्थान पर अब भी आनलाइन क्लास को प्राथमिकता दे रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। लाकडाउन और कोरोना संक्रमण के बाद स्कूल-कालेजों में पठन-पाठन अब व्यवस्था पटरी पर आई है। वहीं नौवीं से बारहवीं तक के कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति 42 फीसद पर आकर टिक गई है। ज्यादातर अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेजने के स्थान पर अब भी आनलाइन क्लास को प्राथमिकता दे रहे हैं। खास तौर पर सीबीएसई से संचालित विद्यालय में। हालांकि निजी व कान्वेंट स्कूलों की तुलना में यूपी बोर्ड से संचालित विद्यालयों में विद्यार्थियों उपस्थिति बेहतर है। यूपी बोर्ड से संचालित नगर के कई विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति करीब 48 फीसद तक पहुंच गई है। दूसरी ओर सीबीएसई से संचालित कई निजी विद्यालयों में बच्चों की आफलाइन क्लास में 20 से 25 फीसद तक है। जबकि आनलाइन क्लास में करीब 80 फीसद से उपस्थिति बनी हुई है।
कोरोना महामारी को देखते हुए स्कूल-कालेज 18 मार्च से बंद चल रहे थे। आनलाक के बाद सूबे के तमाम निजी स्कूलों ने शासन-प्रशासन पर आफलाइन कक्षाएं संचालित करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था। इसे देखते हुए शासन व प्रशासन ने कोविड-19 के मद्देनजर जारी मानकों का अनुपालन करते हुए 19 अक्टूबर से स्कूल-कालेज खोलने की हरी झंडी दे दी। इसके तहत स्कूलों को कक्षा नौ से 12 तक की कक्षाएं दो पालियों में चलाने की अनुमति दी गई है। अभिभावकों की लिखित अनुमति लेकर रोटेशन 50 फीसद ही बच्चे एक दिन में बुलाने का निर्देश है। साथ प्रतिदिन विद्यालयों को सैनिटाइजेशन भी कराना है। वहीं आफलाइन के साथ-साथ आनलाइन क्लास भी चलाने का निर्देश है। वहीं सुविधा संपन्न परिवारों के आफलाइन के स्थान पर आनलाइन व वर्चुअल क्लास को अधिक महत्व दे रहे हैं। कई निजी विद्यालयों में आफलाइन की भांति आनलाइन क्लास भी टाइम टेबल बनाकर चलाया जा रहा है। अध्यापक भी ईमानदारी के साथ पढ़ा रहे। स्कूलों में सप्ताह में दो दिन ही पढ़ाई होने से बच्चों को आनलाइन क्लास अधिक सुविधाजनक लग रहा है। वहीं शिक्षकों का कहना है कि आनलाइन व आफलाइन दोनों कक्षाएं साथ-साथ चलने से एक ही कोर्स तीन बार पढ़ाना पड़ रहा है। आफलाइन क्लास में बच्चे दो पालियों में आ रहे हैं। ऐसे में एक ही कोर्स दो बार विद्यालय में व एक बार आनलाइन क्लास में पढ़ाना पड़ रहा है।
यूपी बोर्ड की तुलना में सीबीएसई के विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति काफी कम
परिवार वालों की आर्थिक स्थिति ठीक होने के कारण निजी स्कूलों में पंजीकृत ज्यादातर बच्चे आनलाइन क्लास को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। ऐसे बच्चों के पास आनलाइन क्लास की सुविधा मौजूद है। जबकि यूपी बोर्ड संचालित विद्यालयों में पढऩे वाले तमाम बच्चों की पारिवारिक स्थिति कमजोर है। उनकी पढ़ाई वर्चुअल क्लास व आफलाइन क्लास पर ही टिकी हुई है। इसके चलते यूपी बोर्ड की तुलना में सीबीएसई के विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति काफी कम है।
-डा. वीपी सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक।