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15 अमृत सरोवर के लिए 2.24 करोड़ स्वीकृत

जागरण संवाददाता वाराणसी आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी जिलों को अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य दिया है। इस क्रम में जिले भर के 75 तालाबों का चयन कर लिया गया है। इसमें से 15 तालाबों के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर धन का आवंटन कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 02:21 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 02:21 AM (IST)
15 अमृत सरोवर के लिए 2.24 करोड़ स्वीकृत
15 अमृत सरोवर के लिए 2.24 करोड़ स्वीकृत

जागरण संवाददाता, वाराणसी : आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी जिलों को अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य दिया है। इस क्रम में जिले भर के 75 तालाबों का चयन कर लिया गया है। इसमें से 15 तालाबों के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर धन का आवंटन कर दिया गया है। इन पर 2.24 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस पर वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा द्वारा प्रदान कर दी गई है।

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विकास विभाग द्वारा पहली सूची तैयार कर ली गई है। जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। इसमें सर्वाधिक 22.54 लाख रुपये काशी विद्यापीठ ब्लाक के कुरूहआ स्थित तालाब पर खर्च किया जाएगा। सबसे कम भट्ठी में 9.51 लाख रुपये खर्च होंगे। हरहुआ ब्लाक के पुआरीकला जिस पर 15.53 लाख रुपये खर्च करने हैं वहां पर रविवार को भूमि पूजन कर काम शुरू कर दिया गया। अमृत सरोवर के लिए चयनित 15 तालाबों में चिरईगांव में खेवलपुर व तरैया में तालाब बनेगा। इसी प्रकार चोलापुर में उगापुर, रूपचंदीपुर व कपला, हरहुआ में पुरबपुर, औरा, राजापुर, सरायकाजी व पुवारी कला, काशी विद्यापीठ में भट्टी, अनंतपुर, टिकरी में दो व कुरूहुआ शामिल हैं।

निबंधन विभाग सरकारी दुकानों के पंजीकरण की करेगा जांच

जागरण संवाददाता, वाराणसी : निबंधन विभाग ने नगर निगम, मंडी परिषद आदि की दुकानों, ठेकों, वेयर हाउस, बैंकों की किराएदारी आदि के पंजीकरण की जांच का निर्णय लिया है। यह प्रक्रिया 17 मई से प्रारंभ होगी। जांच में पंजीकरण के दौरान प्रयुक्त स्टांप शुल्क का मिलान करेंगे। इसमें कमी पाए जाने पर कार्रवाई होगी।

एआइजी स्टांप एसके तिवारी ने बताया कि 11 माह से अधिक की कोई भी किराएदारी चाहे सरकारी दुकानों, भवनों की हो या प्राइवेट की सभी को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होता है। तय किराए के अनुसार स्टांप शुल्क देना होता है। निर्धारित दर से कम स्टांप शुल्क देना स्टांप चोरी की श्रेणी में आता है। इसी कारण स्टांप की कमी होने पर कार्रवाई की जाती है। जब इनकी जांच होगी तो पता चलेगा कि लोगों ने नियमों का पालन किया है कि नहीं।


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