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वाराणसी सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में डेढ़ करोड़ निष्क्रिय खातों में साढ़े 22 अरब रुपये डंप

अमूमन बैंक में उन्हीं उपभोक्ताओं के खाते निष्क्रिय होते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आते हैं। शिक्षा की कमी जानकारी का अभाव इसके प्रमुख कारणों में से एक हैं। ऐसे में कुछ सावधानियों के साथ खातों को न सिर्फ निष्क्रिय होने से बचाया जा सकता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 08:50 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 08:50 AM (IST)
वाराणसी सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में डेढ़ करोड़ निष्क्रिय खातों में साढ़े 22 अरब रुपये डंप
वाराणसी सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में एक करोड़ 53 लाख 10 हजार खाते न सिर्फ निष्क्रिय हैं

गाजीपुर [सर्वेश कुमार मिश्र] । कमाल है। इसे बैंकों की निष्क्रियता कहें या ग्राहकों में जागरूकता का अभाव। वाराणसी सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में एक करोड़ 53 लाख 10 हजार खाते न सिर्फ निष्क्रिय हैं, बल्कि इनमें 22 अरब 52 करोड़ 15 लाख 70 हजार रुपये डंप पड़े हैं। कुल पांच करोड़ 41 लाख 28 हजार में से दो करोड़ 95 लाख 12 हजार खाते सक्रिय हैं। वाराणसी में सर्वाधिक 14 अरब तो सोनभद्र में सबसे कम तीन लाख 70 हजार रुपये डंप हैं।

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अमूमन बैंक में उन्हीं उपभोक्ताओं के खाते निष्क्रिय होते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आते हैं। शिक्षा की कमी, जानकारी का अभाव इसके प्रमुख कारणों में से एक हैं। ऐसे में कुछ सावधानियों के साथ खातों को न सिर्फ निष्क्रिय होने से बचाया जा सकता है, बल्कि आसानी से पुन: संचालित भी कराया जा सकता है।

चूंकि इनके संचालन के लिए बैंकों द्वारा सर्कुलर का अनुपालन न के बराबर हो पाता है। इसके तमाम कारण हैं। ऐसे में हम उपभोक्ताओं पर ही अपने निष्क्रिय खातों को पुन: चालू कराने की जिम्मेदारी है। थोड़ा सा प्रयास कर हम अपनी गाढ़ी कमाई को डूबने से बचा सकते हैं।

आसानी से चालू कराएं निष्क्रिय खाते

लगातार 21 माह तक यदि खाते से रुपये नहीं निकाले जाते हैं तो इसे निष्क्रिय कर दिया जाता है। भले ही इस खाते में पैसे कहीं से इस बीच डाले गए हों। ऐसे में केवाइसी और ब्रांच से मिले फार्म को भरकर इसे पुन: आसानी से संचालित किया जा सकता है। खास बात कि जिन खातों में नामिनी नहीं हैं उसके लिए बैंकों को उपभोक्ताओं को अवगत कराना होता है। हालांकि कुछ लोगों के मोबाइल पर मैसेज के अलावा ऐसा अमूमन हो नहीं पाता है। ऐसे में उपभोक्ता खुद संबंधित ब्रांच जाकर आसानी से इसे करा सकते हैं।

नामिनी बनाना बहुत ही आसान

यूं तो अब खाता खोलते समय ही नामिनी बनाने पर जोर दिया जाता है। हालांकि जो ऐसा नहीं कर सका है और उसे किसी को नामिनी बनाना है तो बस बैंक जाकर एक फार्म भर देना होता है। यदि खाताधारक अंगूठा लगाने वाला होगा तो उसे एक गारंटर से हस्ताक्षर कराना होगा। इससे बाद में बड़ी सहूलियत होती है। जैसे किसी खाताधारक की मृत्यु के बाद नामिनी को आसानी से रुपये मिल जाते हैं। ऐसा न होने पर वसीयतनामा, परिवारनामा, मृत्यु प्रमाण पत्र, एफिडेविड सहित तमाम कागजी कोरम पूरा करने पड़ते हैं।

निष्क्रिय खातों के संचालन का तरीका खाता खोलवाने जैसा ही

निष्क्रिय खातों के संचालन का तरीका खाता खोलवाने जैसा ही होता है। खाता चाहे जितने दिन से बंद हो डाक्यूमेंट के साथ एक प्रार्थना पत्र देकर उसका संचालन पुन: आसानी से कराया जा सकता है। नामिनी न होने वाले खाताधारकों को बैंक द्वारा इसके लिए अवगत कराया जाता है, लेकिन ऐसा कम ही हो पाता है।

-सूरजकांत, एलडीएम गाजीपुर।

स्थान         खाता             निष्क्रिय          डंप राशि

वाराणसी     1.40 करोड़      58 लाख          14 अरब

बलिया       21.20 लाख     1.81 लाख         12 करोड़

आजमगढ़      2 करोड़       40 लाख           04 अरब

जौनपुर       52.23 लाख     16.60 लाख        04 अरब

गाजीपुर       52 लाख        22.75 लाख        5.12 करोड़

चंदौली        23 लाख         4.50 लाख        3.50 करोड़

मऊ          12.50 लाख      3.50 लाख         13 करोड़

सोनभद्र       16 लाख         94 हजार           3.70 लाख

मीरजापुर      19 लाख         3.50 लाख         15 करोड़

भदोही         5.35 लाख      1.50 लाख          3.50 करोड़

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कुल योग     54128000       15310000        22521570000


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