वाराणसी में लालबहादुर शास्त्री स्मृति भवन में 21 दिवसीय जीवनदायिनी गंगा छायाचित्र प्रदर्शनी शुरू
रामनगर में लालबहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय में गुरुवार से 21 दिवसीय जीवनदायिनी गंगा छायाचित्र प्रदर्शनी शुरू हुई। प्रदर्शनी में भगवती गंगा की पवित्रता व महत्व के साथ ही अमृत गंगा गोमुख गंगोत्री देवप्रयाग ऋषिकेश प्रयाग काशी गंगासारग के सुंदर चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। रामनगर में लालबहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय में गुरुवार से 21 दिवसीय जीवनदायिनी गंगा छायाचित्र प्रदर्शनी शुरू हुई। पहले दिन भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व एमएलसी लक्ष्मण आचार्य और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम शुक्ला ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। प्रदर्शनी में भगवती गंगा की पवित्रता व महत्व के साथ ही अमृत गंगा, गोमुख, गंगोत्री, देवप्रयाग, ऋषिकेश, प्रयाग, काशी, गंगासारग के सुंदर चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। कोलकाता, वाराणसी, गोरखपुर व चंदौली के छायाकारों ने अपनी प्रतिभा दिखाई। प्रदर्शनी देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।
एमएलसी ने कहा कि गंगा शब्द ही पवित्रता का प्रतीक है। प्रत्येक हिंदू इसमें स्नान करने को लालायित रहता है और मृत्यु के समय गंगा जल पीने की आशा रखता है। सत्ययुग में सभी स्थान पवित्र समझे जाते थे। त्रेतायुग में पुष्कर तीर्थ पवित्रतम था। द्वापर युग में यह महात्म्य कुरुक्षेत्र को प्राप्त हुआ। कलियुग में यही महिमा गंगा जी को मिली है। पतितपावनी मोक्षदायिनी गंगा भारत में केवल बहती जलधारा रूपी नदी नहीं हैं बल्कि विरंतन संस्कृति की अविरल प्रवाह है। कुलपति ने कहा कि देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी गंगा पर निर्भर है। गंगोत्री से गंगा सागर के बीच 2525 किमी की दूरी में 116 ऐसे शहर हैं, जिनकी आबादी एक लाख से 30 लाख तक है। गंगा को सही अर्थों में पहचानने वालों की दृष्टि से माता गंगा साध्य है। कोलकाता के छायाकारा सोरेन बैनर्जी, वाराणसी के बलराम यादव, रजनीश मिश्र, राजकुमार प्रसून, डा. सुभाषचंद्र यादव, गोरखपुर के प्रशांत राय और चंदौली के मनोज कुमार ने प्रदर्शनी में अपनी कला दिखाई। इस मौके पर बीएचयू की प्रो. उषा रानी तिवारी, हथकरघा विभाग के उपायुक्त डा. नितेश धवन, बीएचयू के संयुक्त कुल सचिव डा. एसबी पटेल,विरेन्द्र मौर्या,विनय मौर्या, महेंद्र शास्त्री,अशोक जायसवाल, डा.अनुपम गुप्ता, संतोष द्विवेदी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।कार्यक्रम संयोजक व संग्रहालय प्रभारी डा. सुभाषचंद्र यादव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।