UP BOARD : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की वेबकास्टिंग की परीक्षा में बनारस के 15 केंद्र फेल
यूपी बोर्ड 2020 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की मंगलवार को हिंदी के पेपर संग शुरू हुई।
वाराणसी, जेएनएन। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की मंगलवार को हिंदी के पेपर संग शुरू हुई परीक्षा के पहले दिन ही जिले के 15 केंद्रों की वेबकास्टिंग व्यवस्था फेल हो गई। परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे में इनका राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया। इसके बाद फोन बजने का क्रम शुरू हो गया। कहीं इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या आई तो कहीं कम जीबी पैक का नेट पैक बाधा बना। नकलमुक्त परीक्षा के लिए इस बार केंद्रों पर वॉयस रिकार्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरा-राउटर लगाए गए हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में वेबकास्टिंग प्रभावित राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम से केंद्रों का संपर्क टूटते ही शासन स्तर पर मॉनीट¨रग के लिए गठित सेल का फोन बनारस के कंट्रोल रूम तक घनघनाने लगा। राजकीय क्वींस इंटर कालेज में जनपदीय कंट्रोल रूम से तत्काल संबंधित केंद्रों से संपर्क किया। इंटरनेट कनेक्टविटी तो किसी केंद्र पर नेट पैक की समस्या सामने आई। बहरहाल पहले ही दिन ग्रामीण क्षेत्रों के कई केंद्रों का वेबकास्टिंग प्रभावित रही। हालांकि जिलास्तरीय कंट्रोल रूम से केंद्रों के बराबर संपर्क का दावा किया गया है।
- सिम पैक वाले केंद्रों पर समस्या डीआइओएस डा. वीपी सिंह ने बताया कि जिन केंद्रों ने नेट के लिए ब्रांडबैंड का कनेक्शन लिया है उन केंद्रों पर परीक्षा की वेबकास्टिंग को लेकर कोई समस्या नहीं है। कुछ केंद्र सिम के नेट पैक से परीक्षा की वेबकास्टिंग कर रहे हैं। ऐसे केंद्रों ने प्रतिदिन दो जीबी का डाटा पैक भरवाया है। सभी केंद्रों को सीसीटीवी कैमरे का फुटेज भी सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है। वीडियो डाउनलोड के चक्कर में आधे घंटे में ही कई केंद्रों का डाटा खत्म हो गया। इसके चलते उनका लखनऊ से संपर्क टूट गया था। हालांकि, जनपदीय कंट्रोल रूम से संपर्क बना हुआ था। -दस जीबी डाटा पैक लेने का निर्देश पहले दिन वेबकास्टिंग का हाल देखते हुए डीआइओएस ने केंद्रों से कम से कम दस जीबी का डाटा पैक लेने का निर्देश दिया है।
- चलते-फिरते परीक्षा पर नजर वॉयस रिकार्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरा व राउटर से परीक्षा की ऑनलाइन मानीटरिंग की जा रही है। डीआइओएस ने मोबाइल पर भी सभी केंद्रों को जोड़ लिया है। ऐसे में चलते-फिरते परीक्षा पर नजर बनाए हैं।
- कंट्रोल रूम में हेडफोन नहीं जिलास्तरीय कंट्रोल रूम में वॉयस सुनने के लिए हेडफोन की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में कंट्रोल रूम से केंद्रों का हाल तो ऑनलाइन देखा जा सकता है लेकिन निरंतर आवाज सुनना संभव नहीं है। - सर्वर ने भी दिया धोखा केंद्रों को परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे में परीक्षार्थियों की उपस्थिति व अनुपस्थिति का विवरण ऑनलाइन बोर्ड को देना था। वहीं पहले ही दिन बोर्ड के सर्वर ने धोखा दे दिया। सूबे में एकसाथ सभी केंद्रों द्वारा उपस्थिति व अनुपस्थिति विवरण वेबसाइट पर अपलोड करने के कारण सर्वर धीमा हो गया। केंद्रों को परीक्षार्थियों की उपस्थिति व अनुपस्थिति अपलोड करने में घंटों लगे।
- कई केंद्रों पर कक्ष निरीक्षकों का टोटा तमाम प्रयास के बावजूद परीक्षा के पहले दिन कई केंद्रों पर कक्ष निरीक्षकों की कमी रही। प्रभु नारायण राजकीय इंटर कालेज में पांच वाह्य कक्ष निरीक्षक में से एक शिक्षक पहुंचे थे। सीएमजीएस इंटर कालेज में 21 में 17 कक्ष निरीक्षक गायब रहे।
- गेट पर ही हुई जांच पहल ही परीक्षा में नकल रोकने को लेकर केंद्राध्यक्ष सक्रिय दिखे। परीक्षार्थियों की जांच गेट पर ही की गई ताकि परीक्षा कक्ष तक कोई अनुचित सामग्री न जा सके।
- मोबाइल फोन पर रही नजर केंद्रों पर परीक्षार्थियों की जांच के दौरान मोबाइल फोन पर विशेष निगाह थी। गेट पर तैनात शिक्षकों की टीम परीक्षार्थियों से बार-बार मोबाइल के बारे में पूछ रही थी।
- कैमरे पर टिकी केंद्राध्यक्षों की निगाहें वॉयस रिकार्डरयुक्त सीसीटीवी कैमरा व राउटर लगे होने के कारण परीक्षार्थी सिर झुकाए चुपचाप तीन घंटे तक लिखते रहे। परीक्षा के दौरान एक केंद्र पर एक कक्ष निरीक्षक बाहर निकल गए थे। जनपदीय कंट्रोल रूम से तत्काल केंद्राध्यक्ष को फोन कर कक्ष निरीक्षक को तीन घंटे परीक्षा हाल में ही रहने का निर्देश दिया गया। हालांकि वेबकास्टिंग का मनोवैज्ञानिक प्रभाव कक्ष निरीक्षकों पर परीक्षार्थियों से अधिक देखा गया।
- परीक्षा की ड्यूटी न करने पर होगी कार्रवाई डीआइओएस ने कहा कि शिक्षकों के लिए परीक्षा ड्यूटी अनिवार्य है। उनकी सेवा शर्तो में इस बात का उल्लेख भी है। ऐसे में यदि कोई शिक्षक परीक्षा ड्यूटी नहीं करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।
- खाल हाथ लौटा सचल दस्ता परीक्षा में नकल रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे। परीक्षार्थियों के साथ कक्ष निरीक्षकों पर भी कड़ी निगाह रखी जा रही है। परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षकों का मोबाइल फोन जमा करा लिया गया था। संवेदनशील केंद्रों पर पर्यवेक्षक तैनात किए गए थे। पांच जोन, 18 सेक्टर में मजिस्ट्रेट तैनात थे। परिक्षेत्र, मंडल व जनपद स्तर पर गठित अलग-अलग सचल दस्ते की टीम दोनों पालियों में विभिन्न केंद्रों का निरीक्षण किया। हालांकि किसी केंद्र पर परीक्षार्थी अनुचित साधन का प्रयोग करते नहीं मिले।