भागलपुर पुल का 12वां खंबा सरयू नदी में धंसा, 20 साल में ही पुल की उम्र खत्म होने से हड़कंप
सरयू नदी पर बना भागलपुर पुल महज 20 वर्ष में ही मानो चुक गया है। बलिया-देवरिया जनपद को जोड़ने वाले इस भागलपुर पुल में कुल 18 पाया (खंबा) है और इसकी लंबाई 1185 मीटर है। इस पुल का 12 वां पाया नदी में ही धंस गया है।
बलिया, जागरण संवाददाता। बिल्थरारोड तुर्तीपार में सरयू नदी पर बना भागलपुर पुल महज 20 वर्ष में ही मानो चुक गया है। बलिया-देवरिया जनपद को जोड़ने वाले इस भागलपुर पुल में कुल 18 पाया (खंबा) है और इसकी लंबाई 1185 मीटर है। इस पुल का 12 वां पाया नदी में ही धंस गया है। जिसके कारण इस पुल पर स्लैब में दरार पड़ गई है और कंक्रीट उखड़ गया है। पुल के ज्वाइंट भी कई जगह टूट गए है किंतु 12वां पाया के पास तो ज्वाइंट पिछले तीन वर्ष में दूसरी बार उखड़ गया है। जिससे पुल के दरार में से साफ नदी दिख रही है। जिसे देखकर राहगीर और वाहन चालक दहल जा रहे हैं।
बड़े वाहनों के पुल से गुजरने के दौरान पुल के हिलने के तेज आवाज से लोग सहम जा रहे हैं। हालांकि, पीडब्ल्यूडी देवरिया द्वारा डैमेज पाया के पास पुल के आधे हिस्से को ईंट की दीवार से घेर दिया गया है और पुल पर बाकी के दरार पड़े ज्वाइंट के पास स्लैब पर लोहे और स्टील के प्लेट बिछाकर आवागमन बहाल किया गया है। जिसका स्थायी मरम्मत किया जाना जरुरी है। पुल का अधिकांश हिस्सा देवरिया जनपद में ही आता है। जिसके कारण देवरिया पीडब्ल्यूडी ने पुल पर वाहनों की गति और क्षमता को भी प्रतिबंधित किया है और इस संदर्भ में पुल के दोनों तरफ बोर्ड भी लगाया गया है। जिस पर स्पष्ट लिखा गया है कि ’’सावधान सेतु क्षतिग्रस्त है। रिपेयर कार्य प्रगति पर है। कृपया धीरे चलें। वाहन गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटा और वाहन अधिकतम भार क्षमता 35 टन’’। बावजूद पुल पर ओवरलोड वाहनों की आवाजाही धड़ल्ले से जारी है। इस पुल से हर दिन दर्जनों स्कूलों बसें भी गुजरती है।
20 वर्ष ही चल सका 14 वर्ष में बना भागलपुर पुल : 2001 में बना भागलपुर पुल महज बीस वर्ष में ही दम तोड़ रहा है। पिछले पांच वर्ष में कई बार इसको रिपेयर किया जा चुका है। इसका निर्माण 14 वर्ष में पूरा हुआ था। सरयू नदी पर करीब 1185 मीटर लंबे बने भागलपुर पुल का उद्घाटन 26 दिसंबर 2001 को बतौर तत्कालीन सीएम राजनाथ सिंह ने किया था। पुल का निर्माण कार्य 23 जनवरी 1887 को शुरु हुआ था और 14 वर्ष में पुल का निर्माण पूरा किया गया। कार्यदायी संस्था उ.प्र. राज्य सेतु निगम लिमिटेड ने 2819.44 लाख रुपए की लागत से कार्य पूरा किया गया था। अब तक इसका तीन बार मरम्मत किया जा चुका है और मरम्मत पर भी करोड़ों रुपए खर्च किए गए है। जिसके कारण अब इस पुल के गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।