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सोनभद्र नरसंहार में 11वीं मौत के बाद गमगीन हुए गांववासी, नहीं जले कई घरों में चूल्हे Sonbhadra news

घोरावल के उभ्भा में हुए नरसंहार में घायल केरवा की घटना के 46 वें दिन अस्पताल में हुई मौत के बाद एक बार घटना की याद ताजा हो गई।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 07:54 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 08:16 AM (IST)
सोनभद्र नरसंहार में 11वीं मौत के बाद गमगीन हुए गांववासी, नहीं जले कई घरों में चूल्हे Sonbhadra news
सोनभद्र नरसंहार में 11वीं मौत के बाद गमगीन हुए गांववासी, नहीं जले कई घरों में चूल्हे Sonbhadra news
सोनभद्र, जेएनएन। घोरावल के उभ्भा में हुए नरसंहार में घायल केरवा की घटना के 46 वें दिन अस्पताल में हुई मौत के बाद एक बार घटना की याद ताजा हो गई। दिल को दहला देने वाली घटना हर किसी को याद आ गई। वाराणसी के ट्रामा सेंटर में मौत की जानकारी शनिवार को दोपहर में उभ्भा में पहुंचते ही ग्रामीण गमगीन हो गए। केरवा के परिवारवालों के करूण-क्रंदन से गांव के लोग भी दुखी हो गए। कई घरों में चूल्हे नहीं जले। हालत यह थी कि रात के सन्नाटे को केरवा के परिवारवालों की चित्कार चिरती रही। 
भूमि पर कब्जे को लेकर चली गोली से घायल 55 वर्षीय केरवा घटना के 45 दिन बाद शनिवार की दोपहर वाराणसी के ट्रामा सेंटर में दम तोड़ दी। घटना के बाद उभ्भा के आदिवासी धीरे-धीरे सामान्य जीवन व्यतीत करने लगे थे। 10 लोगों की मौत की घटना को झेल चुके आदिवासी अपने को किसी न किसी काम में व्यस्त रख कर घटना उबरने की कोशिश में लगे रहे लेकिन शनिवार को जैसे ही केरवा की मौत की सूचना इन ग्रामीणों को मिली, एक बार फिर नरसंहार की घटना ताजा हो गई। गांव के रामराज ने बताया कि ग्रामीण गमगीन हो गए और तमाम लोग केरवा के घर सांत्वना देने पहुंचे। केरवा के पटिदारों के घर चूल्हे भी नहीं जले। केरवा के पति रामप्रसाद की आंखों से आंसू नहीं रूक रहे थे। केरवा के अंतिम बार सांस लेने के दौरान उसके पुत्रगण रामङ्क्षसह व रामकुंअर उसके पास ही मौजूूद रहे, लेकिन परिवार की महिलाओं की चित्कार समय-समय पर गांव के सन्नाटे को चिरती रही। 
 
शव को दफनाने का लिया निर्णय
गांव के रामराज ने बताया कि केरवा की मौत से एक बार फिर ग्रामीणों के जेहन में नरसंहार की घटना ताजा हो गई है। परिवारवालों के विलाप से गांव का माहौल गमगीन हो गया है। इस दौरान स्थानीय पुलिस के अधिकारी भी शव पहुंचने की जानकारी ग्रामीणों से लेते रहे। बताया कि गोली से मरने वाले 10 लोगों का शव जिस स्थान पर दफनाया गया था, उसी स्थान पर केरवा के शव को भी दफनाने का परिजनों ने निर्णय लिया। 
 
शोकाकुल उभ्भा के आदिवासी, फिर बढ़ा आक्रोश 
केरवा की मौत की सूचना मिलते ही उभ्भा के आदिवासियों में शोक की लहर दौड़ गई। उसकी मौत ने एक बार फिर उभ्भा के नरसंहार की घटना को ताजा कर दिया। इससे आदिवासियों में आक्रोश बी बढ़ गया। शोकाकुल गांव में शनिवार को अजीब से सन्नाटा पसरा रहा। ग्रामीणों का कहना है कि शासन प्रशासन की हल्की चूक की सजा वे जान गवां कर भूगत रहे हैं। 
 
पुलिस ने बढ़ाई सतर्कता 
वाराणसी के ट्रामा सेंटर में केरवा की मौत की सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन ने घोरावल में सतर्कता बढ़ा दी। पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने घोरावल के प्रभारी निरीक्षक सीपी पांडेय को पल-पल पर नजर रखने के साथ ही ग्राम पंचायत मूर्तियां में गश्त बढ़ाने का निर्देश दिया। निर्देशित दिया गया कि शव के घोरावल की सीमा में आते ही पुलिस सतर्क रहे। किसी तरह की चूक न होने पाए।  

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