जरी-जरदोजी से स्वावलंबन का जरिया बनीं जाहिरा
गरीबी और अशिक्षा से जूझ रही नारियों को हुनरमंद बनाने का जाहिरा ने जो सपना संजोया उसे पूरा करने लिए उन्होंने करीब 15 वर्ष तक संघर्ष किया। अपने हुनर से हजारों महिलाओं को आर्थिक मजबूती के साथ समाज में बराबर खड़े होने का हक दिलाया। जरी जरदोजी के जरिए विदेश तक जिले का नाम रोशन किया। सरकार ने उनके हुनर की कद्र करते हुए जिला को एक उत्पाद में उन्नाव की जर-जरदोजी कारोबार को घोषित कर दिया। हुनरमंद जाहिरा की जरी-जरदोजी के कारण ही देश के नौ चुनिदा शहरों में उन्नाव को शामिल किया गया है। जाहिरा चार हजार से अधिक महिलाओं की जीविका का जरिया बनी। जाहिरा को केंद्र सरकार कपड़ा मंत्रालय से पांच करोड़ क्लस्टर 201
जागरण संवाददाता, उन्नाव : गरीबी और अशिक्षा से जूझ रही नारियों को हुनरमंद बनाने के 20 वर्ष तक किया गया संघर्ष रंग लाया। जरी-जरदोजी से जाहिरा शहर की महिलाओं के लिए स्वावलंबन का जरिया बन गई। उनका हुनर निखारा, सशक्त बनाया और देश ही नहीं विदेशों तक शहर का नाम रोशन किया। उनके हुनर की कद्र करते हुए ही सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना में जरी-जरदोजी को शामिल किया। अब तक जाहिरा चार से अधिक महिलाओं को स्वावलंबी बना चुकी हैं।
शहर के छोटा चौराहा निवासी जाहिरा को किशोरावस्था में पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। आर्थिक संकट गहराया तो परिवार और समाज की बंदिशों का मुकाबला करते हुए नारियों को स्वावलंबन से जोड़ने का संकल्प लिया। घर बैठे ही कढ़ाई-सिलाई करने लगीं। इसी दौरान जरी-जरदोजी की जानकारी हुई। शुरुआत में हसनगंज, औरास, मियांगंज, गंजमुरादाबाद, सफीपुर आदि ब्लॉकों में घरों में ठेके पर काम करने वाली महिलाओं को जोड़कर प्रशिक्षण दिया। महज 10 साल में जाहिरा ने अपनी मेहनत से जरी जरदोजी के काम को देश के बड़े शहरों तक पहुंचा दिया। मुंबई, कोलकाता बंग्लुरु, चंडीगढ़ आदि शहरों में लगी प्रदर्शनी में विदेशी व्यापारी आकर्षित हुए। कढ़ाई के जरी तारों से सजे सूट, लहंगे, साड़ियां, बैग, कुशन, चादरें, पर्दे बेहद पसंद किए गए। वर्तमान समय में दुबई, चिली, बहरीन, कतर आदि देशों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं। इसे देश के बड़े शहरों में बैठे व्यापारियों के माध्यम से विदेशों में भेजा जा रहा है।
चार हजार से अधिक महिलाओं को बनाया उद्यमी
जाहिरा के प्रयासों से ही केंद्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय ने 2018 में पांच करोड़ का क्लस्टर दिया। इससे दिहाड़ी मजदूरी पर कढ़ाई करने वाली गरीब महिला कारीगरों के लिए उद्यमी बनने का रास्ता साफ हुआ। तकरीबन 250 महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 4 हजार से अधिक महिलाएं ऐसी हैं जो इस काम में जुटी हैं।
13 हजार परिवार कर रहे यह काम
जरी जरदोजी की कला को एक जिला एक उत्पाद में जगह मिली है। यहां 13 हजार परिवार ऐसे हैं जो इस काम से जुड़कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। बकौल जाहिरा जरदोजी हस्तशिल्प के लिए बेशक लखनऊ मशहूर है, लेकिन वहां के व्यापारी उन्नाव में ही काम कराते हैं।
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महिलाओं को मेहनत का वाजिब हक दिलाने के लिए 2008 में पहल शुरू की। सपा शासनकाल में मुख्यमंत्री और गर्वनर ने भरोसा दिया लेकिन जरी-जरदोजी को मुकाम नहीं मिल सका। हार नहीं मानीं और बड़े शहरों की प्रदर्शनियों में हिस्सा लेकर इस कला को विदेशों तक पहुंचाया। लंबी लड़ाई के बाद इसे एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल कराने में सफलता मिली है।
जाहिरा, अध्यक्ष
जरी-जरदोजी क्लस्टर उत्थान समिति
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