जमींदोज पेयजल योजनाओं पर जिम्मेदार गंभीर, खर्च करेंगे 48.73 लाख रुपये
जागरण संवाददाता उन्नाव राष्ट्रीय ग्रामीण समूह पेयजल योजना के अंतर्गत जिले में 30 से 40 वर्ष पुर
जागरण संवाददाता, उन्नाव: राष्ट्रीय ग्रामीण समूह पेयजल योजना के अंतर्गत जिले में 30 से 40 वर्ष पुरानी पेयजल योजनाओं के मरम्मतीकरण को लेकर एक बार फिर जिम्मेदार गंभीर हुए हैं। यह वही पेयजल योजनाएं जिनकी कार्य समयावधि पूरी हो जाने का कारण बताते हुए जल निगम ने सभी के पुनर्गठन की कवायद भी छेड़ रखी है। सभी परियोजनाओं में एकाध को छोड़कर शेष में मेंटीनेंस से काम नहीं चल सकता है, बावजूद विभाग इनके अनुरक्षण के नाम पर कई बार बजट लेकर खर्च कर चुका है। हालांकि ग्रामीणों को पानी फिर भी नसीब न हुआ। अब लगभग तीन साल बाद विभाग इन्हीं परियोजनाओं के मेंटीनेंस के लिए फिर जागा है। जिस पर सीडीओ ने खराब पेयजल योजनाओं पर 48.73 लाख रुपये खर्च कर मरम्मतीकरण का जिम्मा ग्राम पंचायतों को दिया है।
शनिवार को मुख्य विकास अधिकारी सरनीत कौर ब्रोका ने इस बाबत जिला पंचायतीराज अधिकारी, जल निगम के दोनों एक्सईएन सहित संबंधित ब्लॉक के बीडीओ व एडीओ पंचायत के साथ बैठक की। सीडीओ ने बताया कि उक्त परियोजनाओं में 41 ऐसी हैं, जिनमें थोड़ा सा मेंटीनेंस कराकर गांव की जनता को पानी दिया जा सकता है। विभाग ने जिन परियोजनाओं के मेंटीनेंस की जरूरत सीडीओ को बताई है, उनमें सभी की पाइप लाइन लीकेज और मोटर खराबी का कारण बताया गया है। जिस पर सीडीओ ने एडीओ पंचायत को हफ्ते भर का समय देकर यह समस्या दूर करने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि जल निगम में संबंधित पेयजल परियोजनाओं के मेंटीनेंस के नाम पर साल 2017-18 से पहले लगभग हर वर्ष बजट लिया जाता रहा है। जिसमें एक ओर विभाग जहां मेंटीनेंस पर धन खर्च करता रहा। वहीं दूसरी ओर ध्वस्त पड़ी इन पेयजल परियोजनाओं से पानी न मिलने का रोना बड़े पैमाने पर ग्रामीण रोते रहे।
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12 परियोजनाएं तो खुद विभाग ने माना, फिर मरम्मत में 41 क्यों
जल निगम निर्माण इकाई व निर्माण खंड की रिपोर्ट के अनुसार संबंधित पेयजल कुल 83 परियोजनाओं में महज 12 ऐसी हैं। जिनका मेंटीनेंस करवा दिया जाए तो एकाध गांव को ही पानी मिल सकता है। यह बात पुनर्गठन के लिए लगाई गई सर्वे एजेंसी को विभाग ने लिखकर दी है। इसके बावजूद शनिवार को हुई बैठक में 41 परियोजनाओं के मरम्मतीकरण का जिम्मा ग्राम पंचायतों को दिया गया है।
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एक ओर पुनर्गठन तो दूसरी ओर मेंटीनेंस
प्रशासन की जिम्मेदारी, पेयजल व्यवस्था की तैयारी को किस नजरिए से देखा जाए, यह समझ से परे हो रहा है। क्योंकि एक ओर जल निगम सभी परियोजनाओं के पुनर्गठन की कवायद शुरू कर चुका है। पुनर्गठन यानी सभी परियोजनाएं समय सीमा पूरी करते हुए बेकार हैं, इसीलिए नए सिरे से नई व्यवस्था कराई जाएगी। दूसरी ओर इन्हीं परियोजनाओं में 41 पर फिर मेंटीनेंस की रकम खर्च किए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
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कुछ साल तक तो ठीक चली। लेकिन उसके बाद पानी की सप्लाई बंद हो गई। शिकायत विधायक अनिल सिंह से लेकर डीएम तक की गई। लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। ग्रामीणों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है।
प्रदीप सिंह- निवासी अकोहरी मजरे भवानीनगर-
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विभागीय उपेक्षा के कारण यह टंकी उद्देश्य की पूर्ति नही कर सकी। गांव में फ्लोराइड युक्त खारे पानी के सहारे जीवन गुजारना मजबूरी बन गया है। जिम्मेदार समस्या से मुंह फेरे हैं।
श्याम किशोर यादव- कल्यान खेड़ा-