विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मददगार नेता, वकील, कलमकार व ठेकेदार भी हत्या में नामजद
हत्या तथा हत्या के प्रयास के मुकदमे में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम तो सूची में पहले नंबर पर है। इसके बाद दूसरे नंबर पर विधायक के भाई मनोज सिंह सेंगर का नाम है।
उन्नाव, जेएनएन। उन्नाव के माखी गांव की दुष्कर्म पीड़िता की रायबरेली में सड़क दुर्घटना के मामले में उसके चाचा ने जिन 10 लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है उनमें जनप्रतिनिधि, कलमकार, वकील के साथ ही ठेकेदार भी शामिल हैं। सभी विधायक कुलदीप सिंह के करीबी हैं या किसी न किसी तरह से जुड़े हैं।
उन्नाव में यह पहला ऐसा मामला है जिसमें जिले के ऐसे लोगों पर एक साथ मुकदमा हुआ है। पीड़िता के चाचा महेश सिंह की ओर से रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाना में दर्ज कराए गए हत्या तथा हत्या के प्रयास के मुकदमे में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम तो सूची में पहले नंबर पर है। इसके बाद दूसरे नंबर पर विधायक के भाई मनोज सिंह सेंगर का नाम है। जो अभी तक विधायक के सभी चुनावों में मैनेजमेंट संभालने वालों में प्रमुख हैं। तीसरे नंबर पर विधायक के बेहद करीबी और उनका सारा लेखाजोखा रखने वाले विनोद मिश्र का नाम है। इसके बाद विधायक के साथ मामले में सह आरोपित शशि के पति हरिपाल सिंह और पांचवें नंबर पर शशि के बेटे नवीन सिंह का नाम है।
विधायक की रजामंदी पर ठेकेदारी का काम देखने वाले कोमल सिंह का नाम छठवें नंबर पर है। सातवें नंबर पर प्रदेश सरकार के कृषि राज्यमंत्री के दामाद और नवाबगंज ब्लॉक के प्रमुख अरुण सिंह का नाम है। ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह जिले में काफी रुतबा रखते हैं और विधायक के भी बेहद करीबी माने जाते हैं। इसके बाद आठवें नंबर पर एक बड़े समाचार पत्र से जुड़े रहे पत्रकार और विधायक को छोटा भाई बताने वाले ज्ञानेंद्र सिंह भी शामिल हैं। नौवें नंबर पर विधायक के करीबी रिंकू सिंह और पेशे से वकील विधायक के हितैषी अवधेश सिंह भी मुकदमे में आरोपित हैं। इसके अलावा मुकदमे में करीब 30 अज्ञात को भी जोड़ा गया है।
विधायक की दहशत से विपक्षी खामोश
माखी दुष्कर्म कांड में भले ही विपक्षी दलों के नेता लखनऊ के साथ संसद में बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर हमलावर रहे हों, लेकिन जिले में दहशत का आलम यह है कि किसी विपक्षी दल का नेता विरोध में एक शब्द बोलने को तैयार नहीं है। पीड़िता को न्याय की वकालत तो सभी करते हैं, लेकिन विधायक सेंगर के मुद्दे पर सब खामोशी ओढ़ लेते हैं।
भाजपा विधायक व उनके करीबियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद विपक्ष के नेता दुष्कर्म पीडि़ता को न्याय दिलाने के लिए उसके पाले में खड़े नजर आए। सपा और कांग्रेस ने उच्च सदन में भी भाजपा को घेरा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्रॉमा सेंटर पहुंच पीडि़ता का हाल लिया, परिजनों को आर्थिक मदद दी, लेकिन जिले के नेताओं पर दहशत हावी है। सपा हो या कांग्रेस किसी भी पार्टी के नेता ने घटना की निंदा तक नहीं की। कुछ नेताओं से बात भी की गई तो उनका कहना था हमारा नाम मत छापिए हम तो यही कहेंगे सच्चाई सामने आनी चाहिए और दुष्कर्म पीड़िता को न्याय मिलना चाहिए। जिले में मात्र भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के कार्यकर्ताओं ने ही साहस दिखाया और पीडि़ता को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ने के लिए सड़क पर ही नहीं उतरे, बल्कि कलेक्ट्रेट गेट पर धरना देकर गिरफ्तारी भी दी।
कांग्रेस भूली वरिष्ठ नेता का फरमान
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष आरपी त्रिपाठी ने सभी जिलों को निर्देश दिया था कि दुष्कर्म पीडि़त बेटी को न्याय दिलाने के लिए कलेक्ट्रेट कार्यालय के समक्ष उपवास करें। इसमें सभी फ्रंटल संगठनों को भी शामिल होने का निर्देश दिया था, लेकिन जिले के नेता इससे अनजान बने रहे। कांग्रेस प्रवक्ता अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसा कोई पत्र नहीं आया है।
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