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Unnao News : नहीं रहे हजार टन सोना की "निशानी" बताने वाले ओम बाबा, चित्रकूट के शोभन सरकार आश्रम के संचालक थे

Unnao News उन्नाव के डौड़िया खेड़ा किले में हजार टन सोना दबा होने के वाक्ये से चर्चा में आये ओम बाबा का बीमारी के चलते निधन हो गया है। वे चित्रकूट के मानिकपुर ब्लाक के गांव ऐंचवारा गांव स्थित शोभन सरकार आश्रम के संचालक थे।

By Jagranv NewsEdited By: Nitesh MishraPublished: Fri, 30 Sep 2022 01:41 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2022 01:41 PM (IST)
Unnao News : नहीं रहे हजार टन सोना की "निशानी" बताने वाले ओम बाबा, चित्रकूट के शोभन सरकार आश्रम के संचालक थे
Unnao News उन्नाव के रहने वाले ओम बाबा का निधन।

उन्नाव, जागरण संवाददाता। Unnao News डौड़िया खेड़ा किले में हजार टन सोना दबा होने के वाक्ये से चर्चा में आये ओम बाबा अब नहीं दिखेंगे। वे चित्रकूट के मानिकपुर ब्लाक के गांव ऐंचवारा गांव स्थित शोभन सरकार आश्रम के संचालक थे। बुधवार रात बीमारी के चलते उन्होंने कानपुर में अंतिम सांस ली।

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नंगे पांव और एक सूती धाेती से अपना तन ढकने के कारण उन्हें चित्रकूट में लोग उघारी बाबा के नाम से भी जानते थे। इसकी सूचना के बाद यहां बक्सर स्थित आश्रम में शोक की लहर दौड़ गई।

अक्टूबर 2013 में बलिदानी राजा राव राम बक्स सिंह के डौड़िया खेड़ा स्थित किले में हजार टन सोना दबा होने की सूचना के साथ ही यह मामला मीडिया के माध्यम से देश दुनिया की चर्चाओं में छा गया था। उसी वक्त शोभन सरकार की तरफ मीडिया को बयान जारी करने वाले उनके शिष्य ओम बाबा कुछ समय बक्सर में गुजारने के बाद शोभन चले गये थे।

बक्सर आश्रम की देखरेख करने वाले माखन द्विवेदी बताते हैं कि शोभन से ओम बाबा चित्रकूट चले गये थे। जहां उन्होंने ऐंचवारा गांव स्थित आश्रम में ही रुकते थे। गुरुवार सुबह उनके निधन की सूचना बक्सर आश्रम पहुंची तो यहां के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। कानपुर से पार्थिव देह लेकर परिवार के लोग मेरठ के लिए रवाना हो गए।

परिवार के लोग उनका पार्थिव शरीर जन्मभूमि मेरठ ले गए हैं। शोभन सरकार के ऐंचवारा गांव स्थित आश्रम में संस्कृत की वेद पाठशाला और गोशाला खुली हुई है। इसके अलावा गोबर से बनने वाली वस्तुएं भी बनाई जाती है। ग्राम प्रधान सुनील शुक्ला ने बताया कि ओम बाबा 1993 में ऐंचवारा गांव आए थे। नदी किनारे बने बंगला मुखी मंदिर में रहने लगे थे। कुछ साल बाद यहां आश्रम का निर्माण किया।

कानपुर, लखनऊ में उनके हजारों शिष्य हैं। उनके निधन पर दिगंबर अखाड़ा महंत दिव्यजीवदास, रामह्दय दास, जानकी महल सीताशरण, बाल्मीकि आश्रम के महंत भरत दास, खाकी अखाड़ा के महंत राम जन्म दास, बड़े मठ महंत वरुण प्रपन्नाचार्य व मदनदास ने दुख जताया। 


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