मौसम की बेरुखी से गेहूं किसानों की मुसीबत
जागरण संवाददाता, उन्नाव : दिसंबर महीना बीतने के बाद भी कोहरा और कड़ाके की ठंड न पड़
जागरण संवाददाता, उन्नाव : दिसंबर महीना बीतने के बाद भी कोहरा और कड़ाके की ठंड न पड़ने से गेहूं, चना, मटर आदि के किसान मायूस हैं। कोहरा पड़ने पर गेहूं की फसल में अधिक ब्यास आता है और जितना ब्यास होता है उतनी ही अधिक पैदावार होती है। दिन में निकल रही धूप फसल की प्रगति को बाधित कर रही है। कहा जाता है कि लंबी रात, छोटा दिन गेहूं की फसल के लिए बेहतर होता है। यानी तापमान न्यूनतम रहे और दिन में महज कुछ देर के लिए ही धूप निकले। मतलब कोहरा और धुंध छाई रहे ताकि देर सुबह हो और जल्द ही शाम हो जाए। गेंहू की फसल को प्रारंभिक चरण में न्यूनतम तापमान की आवश्यकता होती है। इसके लिए दिसंबर माह के दूसरे पखवारे में कोहरा पड़ना बेहतर होता है। लेकिन इस बार जनवरी महीना चल रहा है और अभी तक कोहरा पड़ना नहीं प्रारंभ हुआ है। मौसम की यह बेरुखी गेहूं किसानों को परेशान कर रही है। ऐसे हालात में किसानों को गेहूं की अधिक ¨सचाई के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि रबी की ही फसलों में सरसों, आलू, चना, मटर, जौ, तोरिया आदि की फसलों को कोहरा न पड़ने से लाभ मिल रहा है। कोहरे की अधिकता में इन फसलों को नुकसान होता है। सरसों, चना आदि के पौधों में कोहरे से फूल प्रभावित होता है और इससे पैदावार कम हो जाती है। हालांकि जिले में सबसे अधिक गेंहू की खेती होती है जो कि कोहरा पड़ने का इंतजार कर रही है। किसान मनबीर ¨सह, सतीश वर्मा, धुन्ना ¨सह आदि ने बताया कि दिसंबर के महीने में कोहरा पड़ने से गेंहू की फसल में ब्यास अधिक होता है। जितना अधिक ब्यास होता है उतनी ही बाली लगती है और उपज अधिक होती है। हालांकि किसान तापमान कम होने से काफी हद तक संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि गेंहू में कुछ नुकसान भी होता है तो मौसम के कारण उसकी भरपाई सरसों, आलू और चना आदि से हो रही है।
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यह है जिले का फसलवार रकबा
गेहूं - 2,39,645 हे .
सरसों- 17,329 हे .
तोरिया- 9938 हे.
जौ- 1413 हे.
चना- 3444 हे.
आलू- 20000 हे.
मसूर- 1104 हे.
मटर- 1539 हे.
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- ठंड कम होने के साथ कोहरा भी नहीं पड़ रहा है। तापमान औसत होने के नुकसानदायक तो नहीं है लेकिन गेहूं के पौधों में इसका असर पड़ रहा है। नए किल्ले कम निकल रहे हैं। इससे बालियां कम होगी और उपज भी कम होगी।
डॉ. नंद किशोर, कृषि वैज्ञानिक