Move to Jagran APP

टॉप यूरिया बायर्स की जांच से समितियों में कम आ रही यूरिया

जागरण टीम उन्नाव प्रदेश में टॉप बायर्स यूरिया घोटाले की जांच से सहकारी समितियों में ख

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:00 PM (IST)
टॉप यूरिया बायर्स की जांच से समितियों में कम आ रही यूरिया
टॉप यूरिया बायर्स की जांच से समितियों में कम आ रही यूरिया

जागरण टीम, उन्नाव : प्रदेश में टॉप बायर्स यूरिया घोटाले की जांच से सहकारी समितियों में खाद नहीं पहुंच पा रही है। शासन स्तर पर घोटाले की चपेट में आने वाले जिलों में जांच के बाद यूरिया भेजी जा रही है। जिले में भी टॉप यूरिया बायर्स की जांच हो चुकी है जिसमें सात समितियों के सचिव के खिलाफ कार्रवाई की गई है तो साथ ही 6 खाद दुकानदारों के प्राधिकार पत्र निरस्त किया गया है। वहीं दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इस घोटाले के कारण शासन स्तर से खाद कम भेजी जा रही है। जिले में हाल यह है कि 50 साधन सहकारी समितियों में यूरिया नहीं है। जिस कारण किसानों को 310 से 320 रुपये बोरी में यूरिया खरीदनी पड़ रही है।

loksabha election banner

ब्लाक सुमेरपुर की कोटवर समिति में यूरिया समाप्त हो गई है। सचिव सत्येंद्र सिंह का कहना है कि शनिवार तक यूरिया आ जाएगी। बीघापुर की 15 सोसाइटी में से केवल घाटमपुर कला व मगरायर में यूरिया उपलब्ध है। अकबरपुर में यूरिया आई थी पर समाप्त हो गई है। घाटमपुर कला में सोसाइटी शुक्रवार को बंद मिली। सचिव हीरा लाल ने बताया बैंक आया हुआ हूं। सिकंदरपुर कर्ण की 11 सहकारी समितियों में बदरका, ताजपुर नौबस्ता व मसवासी में न तो कोई सचिव है और न ही इस सीजन में खाद आयी है। फतेहपुर चौरासी क्षेत्र में नौ समिति हैं, जिसमें तीन समिति ऋण बकाया होने के चलते बंद पड़ी है और छह समितियां चालू हैं जिसमें केवल बबुरिहा समिति में खाद उपलब्ध है और पांच समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है। पांच समितियों में खाद न होने के कारण किसान दर-दर भटक रहे है। गंजमुरादाबाद क्षेत्र में आठ समिति की दुकान हैं जिसमें 6 में एक दाना खाद का नहीं है। सफीपुर विकास खण्ड में आठ साधन सहकारी समितियां है लेकिन किसी भी समिति में खाद नहीं है। वहीं, सहायक विकास अधिकारी सहकारिता चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि सितंबर के प्रथम सप्ताह तक खाद समितियों पर आने की संभावना है।

::::::::::::::::::::::::::::::

क्या कहते किसान

- ग्राम छोट्टापुरवा निवासी किसान राम आसरे ने बताया लगभग 10 दिनों से यूरिया के लिए सोसाइटी एवं निजी दुकानों पर जा रहे हैं। इसके बाद भी फसल में खाद डालने के लिए नहीं मिल रही है।

- सफीपुर के मखदूम नगर गांव निवासी किसान साहब लाल ने बताया कि वह पिछले पांच दिन से समिति के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन उन्हें खाद स्टाक में न होने की बात कह कर वापस कर दिया जाता है।

- सफीपुर के गहोली गांव निवासी रघुनाथ ने बताया कि खाद न मिलने से धान की उपज प्रभावित हो रही है। वह कई दिनों से समितियों के चक्कर लगा कर थक गए हैं।

- फतेहपुर चौरासी क्षेत्र के सेलापुर गांव निवासी रामपाल ने बताया कि खाद न मिलने के कारण उनकी मक्का, धान की फसल चौपट हो रही है। वह खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

- ग्राम पासाखेड़ा के किसान विक्रम सिंह कहते हैं कि गांव की साधन सहकारी समिति में यूरिया उपलब्ध नहीं है। इस वजह से 60 से 70 रुपये महंगी यूरिया खरीदनी पड़ रही है।

- फतेहपुर चौरासी क्षेत्र के गांव भडसर नौसहरा निवासी मौजी लाल ने बताया कि खाद न मिलने की फसल पर बुरा असर पड़ रहा है। समितियों में खाद नहीं मिल रही है।

--------

यहां पर वितरित की गई यूरिया

- शुक्रवार को मोहान पीसीएफ केंद्र, फतेहपुर चौरासी, मगरायर साधन सहकारी समिति और गंजमुरादाबाद में अटवा बैक में भी किसानों को खाद का वितरण किया गया।

------------

- यूरिया की जिले में दिक्कत नहीं है। कुछ समितियों में यूरिया नहीं है जिसके लिए प्रबंध किए गए हैं। टॉप यूरिया बायर्स की जांच के कारण शासन स्तर से मांग के अनुरूप यूरिया भेजी जा रही है।

- केके मिश्रा, जिला कृषि अधिकारी

------------------------

680 एमटी यूरिया की गई अवुमक्त

- सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक, सहकारिता विजय प्रकाश वर्मा ने बताया कि जनपद के कृषकों में इफ्को यूरिया की मांग को देखते हुए जिलाधिकारी रवींद्र कुमार द्वारा 680 एमटी यूरिया प्रीपोजिशनिग मद से अवमुक्त कर दी गई है। इसे 38 सहकारी समितियों में प्रेषित किया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.