कानपुर-लखनऊ रूट पर जल्द होगा स्मार्ट सिग्नल
रेलवे स्टेशन पर आने के लिए सिग्नल के इंतजार में आउटर पर ठहर जाने वाली ट्रेनों को सितंबर के दूसरे सप्ताह से च्हरी झंडीज् मिलना शुरू हो जाएगी। इसके लिए रेलवे कानपुर-लखनऊ रूट पर बचे सेक्शन में सिग्नल की मैनुअल व्यवस्था खत्म हो जाएगी। जैतीपुर अजगैन और सोनिक के बाद रेलवे अब उन्नाव सेक्शन में नॉन-इंटरलॉकिग का काम कराने जा रहा है।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : रेलवे स्टेशन पर आने के लिए सिग्नल के इंतजार में आउटर पर ठहर जाने वाली ट्रेनों को सितंबर के दूसरे सप्ताह से 'हरी झंडी' मिलना शुरू हो जाएगी। इसके लिए रेलवे कानपुर-लखनऊ रूट पर बचे सेक्शन में सिग्नल की मैनुअल व्यवस्था खत्म हो जाएगी। जैतीपुर, अजगैन और सोनिक के बाद रेलवे अब उन्नाव सेक्शन में नॉन-इंटरलॉकिग का काम कराने जा रहा है। मंडल अधिकारियों का आदेश मिलने पर रेल पथ विभाग के इंजीनियर ने उन्नाव स्टेशन पर ट्रैक उच्चीकरण कार्य शुरू किया है। इसमें लूप से लेकर मुख्य ट्रैक को 54 से 60 किलो में तब्दील किया जा रहा है।
ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म करने के लिए रेलवे ने स्मार्ट सिग्नल का सहारा लिया है। कानपुर-लखनऊ रूट के अलावा अन्य जुड़े सेक्शनों में सिग्नल को लेकर कवायद शुरू है। कानपुर-लखनऊ रूट के गंगाघाट, मगरवारा, जैतीपुर, अजगैन और सोनिक के सिग्नल स्मार्ट हो चुके हैं। अब रेलवे के इंजीनियर उन्नाव खंड में कार्य कराने की योजना बना रहे हैं। जिसे लेकर उन्होंने उन्नाव रेलवे स्टेशन पर प्रारंभिक कार्य शुरू कराया है। पुराने ट्रैक उखाड़ते हुए उनके स्थान पर ज्यादा वजन के ट्रैक बिछाए जा रहे हैं। लूप लाइन में 40 फीसद कार्य पूरा हो चुका है। दो और तीन नंबर लाइन पर भी रेल पथ विभाग ने ट्रैक उच्चीकरण का कार्य शुरू करा दिया है। सीनियर सेक्शन इंजीनियर विकास कुमार की निगरानी में ट्रैक बदले जा रहे। जूनियर इंजीनियर विमल कुमार और पीडब्ल्यूआई स्पेशल एसके तिवारी को सेक्शन की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। सेक्शन इंजीनियर का कहना है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह में नॉन-इंटरलॉकिग (एनआइ) कार्य कराने का संकेत लखनऊ रेल मंडल के अधिकारियों ने दिया है। जोनल मुख्यालय से मेगा ब्लाक की तिथि निर्धारित होगी। करीब दो दिन होने वाले इस कार्य में ट्रेनों का परिचालन भी प्रभावित होगा।
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केबिन का काम होगा खत्म
- उन्नाव में स्मार्ट सिग्नल व्यवस्था के लागू होते ही पश्चिम और पूर्वी रेलवे केबिन को खत्म कर दिया जाएगा। स्टेशन मास्टर द्वारा कंट्रोल रूम से बैठे-बैठे लोको पायलट और गार्ड को ट्रेन चलाने और रोकने का सिग्नल मुहैया कराया जाएगा।