अधूरी जांच के दम पर दागी शिक्षकों की तलाश
जागरण संवाददाता उन्नाव विभागीय स्तर पर जांची जा रही साल 2010 के बाद की नियुक्तियों में को
जागरण संवाददाता, उन्नाव: विभागीय स्तर पर जांची जा रही साल 2010 के बाद की नियुक्तियों में कोरम पूरा करने का कार्य जिम्मेदार कर रहे हैं। यहां पर मूल दस्तावेज जांच अपनी जिम्मेदारी पूरी की जा रही। भर्ती के दौरान जारी कट ऑफ में शिक्षक द्वारा क्या दस्तावेज लगाए गए थे, इसकी प्रमाणिकता नहीं की जा रही। ऐसे में दागी शिक्षकों को बेपर्दा करना बमुश्किल होगा।
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा से लेकर नियुक्ति तक जारी कट ऑफ के आधार पर ही चयन होता है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज के निर्देशों को भूलाकर फेक और टेम्पर्ड प्रमाणपत्रों को जांच में तलाशा जा रहा है। जबकि एसटीएफ व एसआइटी ने अपनी जांच में विभागीय स्तर पर दागी शिक्षकों को मिलने वाली शह का जिक्र कर दिया था। बावजूद शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की जांच में हीला-हवाली की जा रही। जांच टीम में एसडीएम, तहसीलदार, बीईओ शामिल हैं। इनके द्वारा की जा रही जांच में सिर्फ शिक्षकों के मूल दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा। जो प्रमाणपत्र नहीं हैं, वह मांगे जा रहे।
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जांच में यह अहम बिंदु भूल गए
- दिव्यांगता का प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी कर रहे शिक्षकों की दिव्यांगता श्रेणी की पड़ताल होनी चाहिए। यह पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व वरिष्ठ चिकित्सकों की मौजूदगी में होनी चाहिए। ऐसा नहीं किया जा रहा। कट ऑफ की मेरिट के आधार पर मूल दस्तावेजों का सत्यापन। जाति प्रमाणपत्र और हाईस्कूल छात्र पंजीकरण संख्या। पूरे प्रकरण को लेकर बीएसए प्रदीप कुमार पांडेय का कहना है कि शासन से मिले निर्देशों के तहत प्रमाणपत्रों की जांच कराई जा रही।
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12460 शिक्षक भर्ती में खुल चुकी है कलई
- जिले में 12460 शिक्षक भर्ती में कट ऑफ मेरिट की हकीकत व एक आवेदन के चयन में अनियमिता मिली थी। मामला प्रकाश में आने के बाद आनन-फानन कट ऑफ मेरिट में जाली दस्तावेज लगाकर चयन की दावेदारी करने वाले अभ्यर्थियों पर एफआइआर दर्ज हुई थी। सुमेरपुर ब्लाक में एक शिक्षिका को बर्खास्त कर एफआइआर हुई। इसी प्रकार 16448 शिक्षक भर्ती में सीटों को लेकर गड़बड़झाला सामने आया था।