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पीओएस ने काउंटर पर ही तोड़ा 'दम'

जागरण संवाददाता, उन्नाव : नोटबंदी के बाद कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा हुईं

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Nov 2017 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 10 Nov 2017 03:01 AM (IST)
पीओएस ने काउंटर पर ही तोड़ा 'दम'
पीओएस ने काउंटर पर ही तोड़ा 'दम'

जागरण संवाददाता, उन्नाव : नोटबंदी के बाद कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा हुईं कोशिशें रेलवे और रोडवेज में दम तोड़ गईं। नोटबंदी के दौरान कोशिशें तो विभागों में हुई पर महीने गुजरने के साथ संजीदगी भी खत्म हो गई। जागरूकता में कमी और स्मार्ट सेवाओं में आने वाली दिक्कतों को दूर न किए जाने से दोनों विभाग एक साल बाद फिर पुराने ढर्रे पर आ गए।

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जनवरी 2017 में कैशलेस को अपनाने की पहल रेलवे में शुरू हो गई थी। एक महीने के बाद रोडवेज ने भी दिलचस्पी दिखाई और टिकट के बदले ई-पेमेंट लेने की पहल शुरू की। हालांकि, दोनों ही विभागों ने एक साल बीतने के बाद कोई खास मुकाम हासिल नहीं किया। रेलवे ने डिजिटल पेमेंट की शुरुआत उन्नाव सहित गंगाघाट रेलवे स्टेशन पर की थी। पीओएस (प्वाइंट आफ सेल) मशीन लगाई गई। जो ऑपरेट होने के बाद कुछ दिन ही चली। गंगाघाट रेलवे स्टेशन पर तो पीओएस द्वारा एक भी टिकट का भुगतान नहीं किया गया जबकि उन्नाव रेलवे स्टेशन पर पीओएस अपनाने वाले यात्रियों की संख्या 260 ही रही। टिकट बु¨कग क्लर्क अपने को बचाने के लिए कैशलेस की वाहवाही तो करते पर सर्वर स्लो होने की वजह से पेमेंट में समस्या भी बताते। इसके अलावा रिफंड के नियम न पता होने की वजह से यात्री कैशलेस से दूरी बनाए हैं। कुछ यात्रियों ने रेलवे बोर्ड को रिफंड न मिलने की शिकायत की है। इसकी जांच जारी है। उधर, उप्र परिवहन निगम की बसों में पीओएस व्यवस्था लागू होने की बात की जाए तो यहां सब ठंडा पड़ा है।

जागरूक तो नहीं हुए, डर जरूर गए

रेलवे में पीओएस के प्रति यात्रियों में सबसे ज्यादा जागरुकता की कमी नजर आई। उनके अंदर टिकट कैंसिलेशन में रिफंड का डर पीओएस में रहा। जिसे दूर करने की कोशिश रेलवे के वाणिज्य अधिकारियों ने भी नहीं की। यही नहीं आरक्षण टिकट काउंटर पर कैशलेस की सुविधा है, इसका प्रचार-प्रसार भी अधिक नहीं हुआ। इस पूरे मसले पर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शिवेंद्र शुक्ला का कहना है कि कमी को दूर किया जाएगा।

स्मार्ट कार्ड भी हो गया फेल

रोडवेज बसों में कैशलेस की राह पर स्मार्ट कार्ड से सफर कराने की योजना परिवहन निगम ने बनाई थी। जो कुछ ही दिन बस स्टैंड पर टिक सकी। एक महीने से स्मार्ट कार्ड का काउंटर बंद पड़ा है। नोटबंदी की तिथि से अब तक 500 भी स्मार्ट कार्ड रोडवेज यात्रियों को नहीं दिला सका। सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा का कहना है कि स्मार्ट कार्ड बनाने की सुविधा जल्द ही दोबारा शुरू की जाएगी।


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