संक्रामक रोग हावी, जिला अस्पताल में मरीजों की भरमार
मानसून ने जिस तरह से धोखा दिया है उससे घर-घर संक्रामक बीमारी दस्तक दे रही है। उमस के कारण लोगों को बुरा हाल है तो वहीं वह बीमारी की चपेट में आ रहे है। पिछले पांच साल में इस तरह की उमस नहीं पड़ी। सन 2015 में जब सूखा पड़ा था तो उस दौरान भी उमस ने इस तरह लोगों को परेशान नहीं किया था।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : मानसून ने जिस तरह से धोखा दिया है, उससे घर-घर संक्रामक बीमारी दस्तक दे रही है। उमस के कारण लोगों को बुराहाल है तो वहीं वह बीमारी की चपेट में आ रहे है। पिछले पांच साल में इस तरह की उमस नहीं पड़ी। सन् 2015 में जब सूखा पड़ा था तो उस दौरान भी उमस ने इस तरह लोगों को परेशान नहीं किया था। इस समय हाल यह है कि सुबह हो या रात हवा डोलती तक नहीं है, जिससे पसीने से लोग तरबतर रहते हैं। बीच-बीच में घमसी होने से उमस और अधिक हलकान कर रही है।
मौसम विभाग के सारे कयास मानसून के बादलों से धरे रह गए। पूर्व की हवा का दबाव न होने से सुबह से लेकर रात केवल उमस का जोर बना हुआ है। घरों में लगे कूलर तक फेल हो गए हैं। हर समय पसीना निकलने से लोग डिहाईड्रेशन के साथ अन्य बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इस बार पांच साल में जुलाई माह में सबसे कम 161 एमएम बारिश दर्ज की गई। वहीं 16 जुलाई के बाद पानी ही नहीं बरसा है। शुक्रवार को हल्की बूंदाबांदी के बाद मौसम खुल गया और फिर उमस ने लोगों को हिलाकर रख दिया।
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पैथालॉजी में पैर रखने की जगह नहीं
- लोग इस तरह वायरल, बुखार और सिसटाइटिस से बीमार हो रहे हैं कि जिला अस्पताल में हर दिन तीन सैकड़ा से अधिक लोगों के ब्लड कल्चर की जांच की जा रही है। ऐसे में पैथालॉजी कक्ष में पैर रखने की जगह नहीं बचती है। शुक्रवार को हाल यह रहा कि सुबह 9 बजे से मरीजों की भीड़ अल्ट्रासाउंड व पैथालॉजी कक्ष के बाहर लगी रही। डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों का भी इसके चलते पसीना छूट गया। इतनी भीड़ रही कि पुलिस होमगार्ड नियुक्त किए गए तथा उनके द्वारा भीड़ को नियंत्रित किया गया।
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जिला अस्पताल के सभी वार्ड फुल
- जिला अस्पताल में इस समय हाल यह है कि सभी वार्ड मरीजों से फुल हैं, एक बेड पर दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है यही हाल इमरजेंसी का भी है। यहां पर भी कोई भी बेड खाली नहीं है। ओपीडी की हाल यह है कि हर दिन 400 से 500 मरीज चिकित्सक देख रहे हैं। हर चिकित्सक के कक्ष के सामने मरीजों की लाइन लगी रहती है। वही हाल पर्चा काउंटर का है जहां पर पुलिस को लाइन लगवानी पड़ती है।
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कब्बाखेड़ा में फिर शुरू हुआ बिजली का रोना
- एक तरफ पानी बरस नहीं रहा है, उस पर बिजली की भी कटौती जारी है। सुबह से लेकर दोपहर तीन घंटे की कटौती हो रही है वहीं कब्बाखेड़ा फीडर का हाल यह है कि यहां पर रात में कटौती की जा रही है। जिस कारण लोगों को ठीक से नींद भी नहीं मिल पाती है। रात 12 से 1 बजे तक, 3 से 4 बजे तथा 5 से 6 बजे तक कटौती हो रही है।