धान के कटोरे चंदौली में धान खरीद में छोटे किसानों पर मेहरबानी, बड़े काश्तकारों के लिए परेशानी
शासन ने अधिक से अधिक किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का लाभ देने के लिए बड़े किसानों से कम मात्रा में धान खरीदने का प्रविधान कर दिया है। इससे काश्तकारों के लिए परेशानी बढ़ गई है। उन्हें कई बार में अपनी उपज क्रय केंद्र पर बेचनी होगी।
चंदौली, जेएनएन। धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली जिले में धान क्रय की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन शासन ने अधिक से अधिक किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का लाभ देने के लिए बड़े किसानों से कम मात्रा में धान खरीदने का प्रविधान कर दिया है। इससे काश्तकारों के लिए परेशानी बढ़ गई है। उन्हें कई बार में अपनी उपज क्रय केंद्र पर बेचनी होगी। ऐसे में किसानों को क्रय केंद्रों पर नंबर लगाने के बाद टोकन भी नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर अभी से विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
जिले में धान खरीद के लिए इस बार नौ क्रय एजेंसियों ने 105 क्रय केंद्र खोले हैं। मुख्यालय स्थित नवीन कृषि मंडी में बने विपणन शाखा के क्रय केंद्र पर धान की खरीद शुरू भी हो चुकी है। अभी तक तीन किसानों से 150 ङ्क्षक्वटल धान खरीदा गया है। जबकि ग्रामीण इलाके में बने क्रय केंद्रों पर धान खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। इससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्रय केंद्रों पर नंबर लगाने के बाद किसानों को टोकन नहीं मिल रहा है। इसके लिए किसान क्रय केंद्रों का चक्कर काट रहे हैं। विभागीय कार्यप्रणाली को लेकर किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
शासन की बदली गाइडलाइन से कम रकबे में खेती करने वाले छोटे किसानों को तो लाभ जरूर होगा। लेकिन बड़े किसानों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री ने अधिक से अधिक किसानों को एमएसपी का लाभ दिलाने का निर्देश दिया है। ऐसे में बड़े किसानों से अधिकतम 50 कुंतल तक धान की खरीद का मानक तय कर दिया गया है। ऐसे किसानों को कई बार में अपनी उपज क्रय केंद्रों पर बेचनी पड़ेगी। इससे परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
भुगतान में हो सकता है बिलंब
क्रय केंद्रों पर धान बेचने वाले किसानों को इस बार भुगतान प्राप्त करने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल, क्रय एजेंसियों के बजाए अब मंडल स्तर से किसानों को भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। केंद्र प्रभारी खरीद की डिटेल नियमित मंडलीय कार्यालय को भेजेंगे। मंडल स्तर से सीधे धनराशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी। इस प्रक्रिया में विलंब भी हो सकता है।
दिक्कत हो तो कंट्रोल रूम में करें फोन
जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने किसानों की सहूलियत के लिए कलेक्ट्रेट में कंट्रोल रूम बना दिया है। इसका नंबर 05412-262100, 262557 व 262149 है। नंबर सभी क्रय केंद्रों पर चस्पा किए गए हैं। दिक्कत होने पर लोग किसान इन नंबरों पर फोन कर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
बोले किसान :
क्रय केंद्र पर धान बेचने के लिए कई दिन पूर्व ही आवेदन कर नंबर लगवा दिया था। लेकिन अभी तक टोकन नहीं दिया गया। इसके लिए कई बार नवीन मंडी स्थित क्रय केंद्र का चक्कर काट चुका हूं। केंद्र प्रभारी व विभागीय अधिकारियों की ओर से इसको लेकर स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा है। यही स्थिति रही तो किसान आंदोलन के लिए विवश होंगे। - गौतम त्रिपाठी
इस बार क्रय केंद्रों में एक बार में बड़े किसानों का पूरा धान नहीं खरीदा जाएगा। केंद्र प्रभारी एक बार में 50 कुंतल धान खरीदने की ही बात कह रहे हैं। इस तरह पूरा धान बेचने के लिए एक माह से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। एक सप्ताह में उपज कटकर तैयार हो जाएगी। मौसम भी बीच-बीच में खराब हो रहा है। यदि यही स्थिति रही तो खलिहान में फसल भींगकर नष्ट हो जाएगी। सरकार को बड़े किसानों के हित में कोई फैसला लेना चाहिए। -विजयशंकर सिंह
संभागीय खाद्य नियंत्रक ने जाना हाल
संभागीय खाद्य नियंत्रक अरुण कुमार ङ्क्षसह ने शनिवार को मुख्यालय के नवीन कृषि मंडी स्थित विपणन शाखा, पीसीएफ, एनसीसीएफ क्रय केंद्रों का जायजा लिया। उन्होंने खरीद की प्रगति के बारे में जानकारी ली। साथ ही किसानों से भी क्रय केंद्रों पर होने वाली परेशानियों के बारे में पूछताछ की।
उन्होंने कहा, क्रय केंद्रों पर कोरोना से बचाव को लेकर मुकम्मल इंतजाम किया जाना चाहिए। सैनिटाइजर के साथ ही साबुन-पानी का घोल बनवाकर भी रखें। इस बार शासन ने बड़े किसानों से कई बार में थोड़े-थोड़े मात्रा में धान खरीदने का निर्देश दिया है। ताकि अधिक से अधिक छोटे किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का लाभ मिल सके। धान खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बीच में दबाव बढ़ेगा। ऐसे में केंद्र प्रभारी पहले से ही तैयारी कर लें। किसी तरह की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। बताया मंडल स्तर से किसानों को भुगतान किया जाएगा। ऐसे में किसानों के खाते में पैसा पहुंचने में थोड़ा समय लग सकता है। लेकिन शत-प्रतिशत किसानों का भुगतान होगा।