मनरेगा की न हो सकेगी अनदेखी, मुआयने का रोस्टर तय
जिलाधिकारी मुख्य विकास अधिकारी के अलावा अन्य जिम्मेदार अधिकारी मनरेगा में क्या काम किया गया। काम में कितनी सामग्री व श्रम का अनुपात इस्तेमाल किया गया जॉब कार्ड मस्टर रोल से लेकर अन्य बातों की परख मौके पर जाकर करना ही भूल गए थे। इससे लगातार श्रम-सामग्री व लेबर पेमेंट के अलावा कराए जा रहे कामों की गुणवत्ता भी धराशायी हो रही थी। लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। जिले में डीएम से लेकर अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को मिलाकर मनरेगा में एक माह में कम से कम 12
जागरण संवाददाता, उन्नाव : जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी के अलावा अन्य जिम्मेदार अधिकारी मनरेगा में क्या काम किया गया। काम में कितनी सामग्री और श्रम का अनुपात इस्तेमाल किया गया, जॉबकार्ड, मस्टर रोल से लेकर अन्य बातों की परख मौके पर जाकर करना ही भूल गए थे। इससे लगातार श्रम-सामग्री और लेबर पेमेंट के अलावा कराए जा रहे कामों की गुणवत्ता भी धराशायी हो रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। जिले में डीएम से लेकर अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को मिलाकर मनरेगा में एक माह में कम से कम 128 निरीक्षण तो करने ही होंगे। लापरवाही पर संबधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी अधिकारी मौके पर जाकर शत-प्रतिशत सघन स्थलीय निरीक्षण करते हुए हर माह इसकी रिपोर्ट शासन को देंगे। लापरवाही पर संबधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों का सघन और सतत निरीक्षण की तैयारी की गई है। इन निरीक्षणों के लिए डीएम को भी दायित्व दिया गया है। हर महीने डीएम को कुल आठ निरीक्षणों के साथ अन्य सभी उच्चाधिकारियों को कम से कम 20 निरीक्षण करने होंगे। उप जिलाधिकारियों के लिए इनकी संख्या 10 है। ग्रामीण परिवारों को रोजगार मुहैया करवाते हुए गांव की स्थायी व्यवस्था का निर्माण मनरेगा का मुख्य उद्देश्य है। यह जानते हुए भी जिले के अधिकारियों की मनरेगा में रुचि कम होती जा रही है। अधिकारियों द्वारा निरीक्षण न करने से फील्ड स्तर पर कार्य कर रहे अधिकारियों व कर्मचारी मनरेगा गाइड लाइन से हटकर कार्य कराने लगे हैं। प्रधान और सचिव सहित अन्य जिम्मेदारों की मिलीभगत ग्रामीण परिवारों को योजना के प्रति हतोत्साहित कर रहे हैं। जॉबकार्ड, मस्टर रोल, एमबी आदि अभिलेखीय प्रक्रिया मनमर्जी तौर पर पूरी करते हुए नियम कानून को धता बताया जा रहा है। जिले में विभिन्न ग्राम पंचायतों के अंतर्गत ही ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जहां कि मनरेगा में बिना काम कराए सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए धन का बंदरबांट कर लिया गया। यह फर्जीवाड़ा करने में प्रधान, सचिव, ग्राम विकास अधिकारी, रोजगार सेवक पंचायत मित्र आदि मिलकर करते रहे हैं। जिनकी शिकायत के बाद होने वाली जांचों में भी कुछ खास निकलकर नहीं आता है।
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ये सब मिलकर पूरे करेंगे
निरीक्षण की तय माहवार संख्या अधिकारी माह में तय निरीक्षण
जिलाधिकारी 08
संयुक्त विकास आयुक्त 20
अपर जिलाधिकारी 10
मुख्य विकास अधिकारी 20
जिला विकास अधिकारी 20
परियोजना निदेशक डीआरडीए 20
जनपद के सभी एसडीएम 10
उपायुक्त श्रम रोजगार 20
------------------- इस निर्देश पर जागे हैं अधिकारी
मनरेगा को लेकर बरती जा रही हीलाहवाली पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। इस बाबत अब तक प्रशासन से शासन स्तर तक मिली शिकायतो का संज्ञान लेते हुए आयुक्त ग्राम्य विकास योगेश कुमार ने डीएम व डीसी मनरेगा को लिखितरूप से निर्देश दिए हैं। शिथिलता पर किसी प्रकार की क्षमा भी न दिए जाने का डर शासन ने जनपद के अधिकारियों को दिखाया है।
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यह बात सही है कि अब तक मनरेगा के कामों का निरीक्षण लगभग न के बराबर रहा है। शासन से निर्देश मिले हैं। जिस पर अनिवार्यरूप से अमल करते हुए तय निरीक्षण को हर हाल में अंजाम दिया जाएगा।
- राजेश कुमार झा, डीसी मनरेगा