स्कूलों में स्वच्छता का पाठ पर शौचालय नहीं
जागरण संवाददाता, उन्नाव: जिले को ओडीएफ बनाने के लिए भले प्रशासनिक अमला एड़ी-चोटी का जोर
जागरण संवाददाता, उन्नाव: जिले को ओडीएफ बनाने के लिए भले प्रशासनिक अमला एड़ी-चोटी का जोर लगाए हो, लेकिन सरकारी स्कूलों के प्रति बेफिक्र है। शासन द्वारा जुटाए आंकड़ों के अनुसार कई स्कूलों में शौचालय व पेयजल की सुविधा अभी तक नहीं है। जबकि गांव-गांव लोगों को स्वच्छता प्रति जागरुक करने के लिए स्कूली बच्चों को लेकर ही रैली निकाली जाती है। बच्चों को स्कूलों हाथ धोने से लेकर सारे स्वच्छता के पाठ पढ़ाये जाते हैं। इस पर लापरवाही यह कि जिन स्कूलों में शौैचालय और हैंडपंप हैं भी, उनमें से कई खराब हैं। कई निष्प्रोज्य घोषित किया जा चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं। इसमें सबसे खराब हालात प्राथमिक विद्यालयों की है।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ सुविधाओं पर करोड़ों रुपये खर्च होता है। स्कूल खुलने के साथ ही पूरे साल कमियों को दूर करने के आदेश होते रहते हैं, लेकिन कागजों तक सीमित रहते हैं। न ही शिक्षा पर खास जोर होता और न सुविधाओं पर। 1063 में नहीं शौचालय
जिले में 2305 प्राथमिक विद्यालय और 832 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, लेकिन सुविधाओं को देखें तो हालत दयानीय है। असुविधाओं में घिरे स्कूलों की संख्या 1283 है। इसमें 1063 स्कूल के बच्चों को शौचालय नसीब नहीं। 220 स्कूल के बच्चों को आसपास लगे हैंडपंपों में पानी पड़ता है। सबसे खराब स्थिति वाले ब्लाक गंजमुरादाबाद, असोहा, बांगरमऊ, नवाबगंज, सिकंदपुर सरोसी, पुरवा, सफीपुर, सुमेरपुर, सिकंदरपुर कर्ण। शौचालय की स्थिति
प्राथमिक विद्यालय: 2305
क्रियाशील शौचालय: 3592
अक्रियाशील शौचालय: 783
शौचालय नहीं: 10 कुल उच्च प्रावि: 832
क्रियाशील शौचालय: 1249
अक्रियाशील शौचालय: 264
शौचालय नहीं: 06 प्रावि में हैंडपंप पर नजर
क्रियाशील हैंडपंप: 2134
अक्रियाशील: 129
हैंडपंप नहीं: 18 उच्च प्रावि पर नजर
क्रियाश ल हैंडपंप: 746
अक्रियाशील: 62
हैंडपंप नहीं: 11 'स्कूलों में मरम्मत कार्य ग्राम पंचायतों द्वारा कराया जा रहा। शौचालय और हैंडपंप की कमी को दूर किया जाएगा।'
बीके शर्मा, बीएसए