नहीं मिला समुचित इलाज, जच्चा-बच्चा की मौत
मौरावां अस्पताल में प्रसव का समुचित बंदोबस्त नहीं है। क्षेत्र की गर्भवती को प्रसव के लिए पुरवा और हिलौली अस्पतालों की शरण में जाना पड़ता है। पुरवा अस्पताल में भी अक्सर महिला डॉक्टर नहीं मिलती इससे प्रसूता की जान को खतरा बना रहा था। बुधावर को प्रसव के लिए मौरावां से पुरवा अस्पताल पहुंची गर्भवती को महिला चिकित्सक न होने से उसे समय से समुचित इलाज नहीं मिल पाया। हालत गंभीर होने पर जिला महिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। महिला अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : मौरावां अस्पताल में प्रसव का समुचित बंदोबस्त नहीं है। क्षेत्र की गर्भवती को प्रसव के लिए पुरवा और हिलौली अस्पतालों की शरण में जाना पड़ता है। पुरवा अस्पताल में भी अक्सर महिला डॉक्टर नहीं मिलती, इससे प्रसूता की जान को खतरा बना रहता है। बुधावर को प्रसव के लिए मौरावां से पुरवा अस्पताल पहुंची गर्भवती को महिला चिकित्सक न होने से उसे समय से समुचित इलाज नहीं मिल पाया। हालत गंभीर होने पर जिला महिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला महिला अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मौरावां थाना क्षेत्र के गांव अकोहरी निवासी रंजीत की पत्नी आरती(25) को बुधवार सुबह प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 102 नंबर मिलाया। लेकिन घंटों एंबुलेंस नहीं पहुंची। हालत बिगड़ती देख परिवार के लोग उसे मौरावां अस्पताल ले गए यहां प्रसव का बंदोबस्त न होने से उसे पुरवा ले जाने की सलाह देकर चलता कर दिया गया। इस बीच लगातार आरती की हालत बिगड़ती गई। पुरवा अस्पताल में भी महिला डॉक्टर नहीं थीं। ईएमओ व स्टाफ नर्स ने बेहोशी की हालत में देख प्राथमिक इलाज किया और उसे जिला महिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। यहां भी एंबुलेंस मिलने में आधा घंटा का समय लग गया। परिवार के लोग उसे जिला महिला अस्पताल लाए जहां डॉ. अलका शुक्ल ने उसका परीक्षण कर मृत घोषित कर दिया। मौत की जानकारी होते ही मृतका आरती की सास बुद्धेश्वरी व मां देवकी बिलख पड़ी। दोनों का आरोप था कि समय से समुचित इलाज मिल जाता तो शायद जच्चा-बच्चा की जान न जाती। जिला महिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मौजूद रही डा. अलका ने बताया कि आरती को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था।
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समय से नहीं मिली एंबुलेंस
- मृतका आरती की मां देवकी और सास बुद्धेश्वरी ने बताया कि प्रसव पीड़ी होने पर 102 कॉल की लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। किराए पर निजी वाहन कर उसे पहले मौरावां और उसके बाद सीएचसी पुरवा लाया गया, यहां भी समुचित उपचार नहीं मिला। एंबुलेंस भी आधा घंटा बाद आई।
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- महिला चिकित्सक नहीं आई थीं। संविदा की डॉक्टर व स्टाफ ने उसे देखा था। मरीज को झटका आ रहे थे, इससे उसे रेफर किया गया। रास्ते में मौत होने की जानकारी नहीं है।
- डॉ. प्रमोद कुमार, प्रभारी सीएचसी पुरवा