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उन्नाव में विधायक सेंगर के भाई को छोड़कर अन्य आरोपियों का मेडिकल

मेडिकल के लिए अतुल सिंह को नहीं लाया गया, क्यों नहीं लाया गया इसका जवाब कोई अधिकारी अभी देने को तैयार नहीं है। अतुल सिंह ने अभी भी पूछताछ चल रही है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 04:37 PM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 06:24 PM (IST)
उन्नाव में विधायक सेंगर के भाई को छोड़कर अन्य आरोपियों का मेडिकल
उन्नाव में विधायक सेंगर के भाई को छोड़कर अन्य आरोपियों का मेडिकल

उन्नाव (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की राजनीति को बेहद गरम कर देने वाले उन्नाव के दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की मौत के मामले में अब तक विधायक कुलदीप सिंह के भाई अतुल सिंह सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आज यहां पर विधायक के भाई को छोड़कर चारों का मेडिकल कराया गया है।

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कानपुर से कल देर रात गिरफ्तार चार युवकों का पुलिस ने जिला अस्पताल में मेडिकल कराया। पुलिस के साथ विधायक अतुल सिंह का भाई नहीं आया था। माना जा रहा है कि अतुल सिंह को पुलिस ने इन सभी से कहीं अलग रखा है। मेडिकल के लिए अतुल सिंह को नहीं लाया गया, क्यों नहीं लाया गया इसका जवाब कोई अधिकारी अभी देने को तैयार नहीं है। अतुल सिंह ने अभी भी पूछताछ चल रही है। उसे अचलगंज थाना या पुलिस लाइन में रखकर क्राइम ब्रांच की टीम पूछताछ कर रही है।

उधर पीडि़त परिवार ने आज उन्नाव में जिलाधिकारी आवास का भी रूख किया। इन लोगों ने जिलाधिकारी रवि कुमार एनसी से भेंट की और उनके सामने अपनी मांग रखी। आज पीडि़ता के परिवार के लोगों का लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मिलने का कार्यक्रम है।

मानवाधिकार आयोग ने दिया नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्नाव की दुष्कर्म पीडि़ता के पीडि़ता के पिता की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले में मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट तलब कर ली है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी जानकारी देने को कहा है कि उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, जिन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इंकार किया। आयोग ने कहा है कि डीजीपी बताएं कि न्यायिक हिरासत में हुई मौत की रिपोर्ट आयोग को 24 घंटे के अंदर क्यों नहीं दी गई। मामले में मृतक की हेल्थ रिपोर्ट भी मांगी गई है, जब वह जेल में निरुद्ध किया गया था। इसके साथ ही पूछा गया कि जेल प्रशासन की तरफ से उसका क्या उपचार किया गया। सारी रिपोर्ट मुख्य सचिव और डीजीपी को चार सप्ताह के अंदर आयोग को भेजनी होगी। 


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