शुक्लागंज में गंगा की रेत पर मटकी में बनी खिचड़ी खाई
संवाद सहयोगी शुक्लागंज कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन गंगा की रेत पर कंडों की आंच से मट
संवाद सहयोगी, शुक्लागंज: कार्तिक पूर्णिमा के दूसरे दिन गंगा की रेत पर कंडों की आंच से मटकी में खिचड़ी बनाने व खाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। मंगलवार को भी लोगों ने परंपरागत तरीके से मटकी में खिचड़ी बनाकर खाई। खिचड़ी के साथ सभी ने देसी घी, पापड़, अचार व दहीबड़ा का स्वाद चखा। वहीं, तमाम लोगों ने दाल बाटी, चोखा बाटी व बैगन के भर्थे का भी आनंद लिया।
घरों से दरी व चटाई आदि लेकर सुबह से लोगों का गंगा की रेत पर पहुंचना शुरू हो गया था। इस मेले में कानपुर से अधिकांश परिवार पहुंचते हैं। सुबह से लेकर शाम तक लोग गंगा रेत पर खिचड़ी खाने का आनंद लेते रहे। परिवार के लोगों के साथ पहुंचे लोगों ने गंगा स्नान किया। उधर, खिचड़ी खाने के बाद कुछ लोगों ने नाव की सैर की। नाव की सैर का बच्चों से लेकर बड़ों तक ने खूब आनंद लिया। बच्चों ने गंगा की रेत पर मस्ती की। नाव वालों की चांदी रही। शाम ढलते ही लोग घरों को वापस लौट गए। सुबह से ही गंगा की रेत पर कंडे व मटकी आदि बेचने वाले दुकान लगने लगेंगी बड़ा कंडा 60 रुपये दर्जन व मटकी अस्सी रुपये से लेकर सौ रुपये तक बिकी।
..........
कोविड को लेकर मेला की रौनक रही फीकी
- हर साल कतकी मेले के दूसरे दिन गंगा की रेत पर लगने वाले खिचड़ी मेले में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती थी। लेकिन इस बार कोरोना के दृष्टिगत मेले की रौनक काफी फीकी रही। आधी से ज्यादा गंगा रेती खाली पड़ी रही। हर साल से इस बार महज एक चौथाई लोग ही रेती के मेले में पहुंच सके। मेले में सजी दुकानों में भी कम भीड़ रही।
........
मास्क व शारीरिक दूरी के लिए किया जागरूक
- गंगा की रेत पर बनाए गए खोए पाए कैंप से दूसरे दिन भी बराबर कोविड नियमों का पालन करने को लेकर माइक से बराबर अनाउंसमेंट किया जाता रहा। पुलिस व पालिका के कर्मचारी गंगा की रेत पर खिचड़ी में आए लोगों को मास्क लगाने व शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए संदेश प्रसारित करते रहे। गंगा की रेत पर पतंगबाजी करने वाले लोगों को पुलिस खदेड़ती रही। पुलिस माइक से बराबर रेती पर पतंग न उड़ाने की अपील करती रही।