Move to Jagran APP

खुदा की इबादत के साथ रुद्र की आराधना

जागरण संवाददाता, उन्नाव : ¨सदूर लगाने और भगवा पहनने पर इस्लाम से खारिज किए जाने की कट्टरता

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Oct 2017 03:02 AM (IST)Updated: Sun, 29 Oct 2017 03:02 AM (IST)
खुदा की इबादत के साथ रुद्र की आराधना
खुदा की इबादत के साथ रुद्र की आराधना

जागरण संवाददाता, उन्नाव : ¨सदूर लगाने और भगवा पहनने पर इस्लाम से खारिज किए जाने की कट्टरता के बीच इस्लाम को मानने वाला एक ऐसे शख्स भी हैं जो पांच वक्त की नमाज के साथ भोलेनाथ और बजरंगबली की आराधना भी उतनी ही शिद्दत से करते हैं। इस्लाम में बुतपरस्ती को भले ही हराम माना गया हो पर उन्नाव के इस्माइल बाबा जिस तरह से पांच वक्त की नमाज नहीं भूलते, उसी तरह से शिवशंकर और उनके रुद्रावतार बजरंगी की उपासना के बिना इनका दिन पूरा नहीं होता। उन्होंने घर और दुकान दोनों ही जगह भगवान शिव, हनुमान की तस्वीर और प्रतिमाएं स्थापित कर रखी हैं। दोनों ही धर्मों को बराबर सम्मान देकर वह सौहार्द की जीती-जागती मिसाल बन गए हैं।

loksabha election banner

¨हदू-मुस्लिम के बीच होने वाली छोटी-छोटी बातों को अक्सर धार्मिक कट्टरता का रूप दे दिया जाता है। ऐसे माहौल के बीच शहर के गदनखेड़ा निवासी बाबा इस्माइल मोहम्मद एकता को नए आयाम दे रहे हैं। वैसे तो बाबा चूड़ी बेचने का कारोबार करते हैं। वह शिक्षित नहीं पर साक्षर जरूर हैं। इनके काम पढ़े-लिखे लोगों को भी आईना दिखाने लायक हैं। इस्माइल पांच वक्त के नमाजी और धर्म को लेकर नियम के पक्के हैं। इनमें जो सबसे अलग बात है वह यह कि अपने घर से लेकर प्रतिष्ठान तक में अल्लाह के साथ बाबा भोलेनाथ और बजरंग बली का चित्र और प्रतिमा भी रखते हैं। सुबह पूजन करने के बाद घर से निकलना और दुकान में भी ईश्वर की आराधना के साथ कारोबार शुरू करना इनकी दिनचर्या में शामिल है। इनके घर के सभी सदस्यों में होली, दीपावली और नवरात्र में उतना ही उल्लास रहता है जितना ईद, बकरीद, मोहर्रम पर रहता है। ¨हदू धर्म के त्योहार भी वह बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस्माइल की तरह ही उनकी पत्नी आसिया बेगम व बच्चे भी दोनों धर्मों को मानती हैं। यही कारण है कि कभी कट्टरपंथी इनके लिए मुसीबत बनते हैं तो कभी दूसरी बाधाएं उत्पन्न करते हैं। इन सबके बाद भी बाबा ने कभी उनसे डरकर समझौता नहीं किया।

इस्माइल कहते हैं कि धर्म, तिथि त्योहार लोगों के दिलों को तोड़ने के लिए नहीं बल्कि जोड़ने के लिए बने हैं। सब एक ही मालिक के बंदे हैं उसने किसी को ¨हदू तो किसी को मुसलमान बना दिया। यहां हम सब धर्म के लिए लड़ रहे हैं जबकि खून सबका एक ही है। हमें लड़ना नहीं बल्कि आपस में एक होकर चलना चाहिए।

आध्यात्मिक कार्यक्रमों में लेते हिस्सा

¨हदू-मुस्लिम के भेदभाव से कोसों दूर इस्माइल बाबा को हर समाज में बराबर सम्मान मिलता है। ¨हदू समाज में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में बाबा की उतनी ही पूछ होती है जितनी अपनों की। रामायण समेत अन्य आध्यात्मिक कार्यक्रमों में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है। मांस-मदिरा के सेवन से वह दूर हैं। उनकी यह श्रद्धा आपसी भाईचारे का प्रतीक ही नहीं क्षेत्र में मिसाल बनी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.