प्रतिबंध के बाद भी बीघापुर में अवैध खनन
बीघापुर तहसील खनन का बड़ा केंद्र बन गया है। गंगा का पानी बढ़ने से रेती का खनन बंद हुआ तो अब मिट्टी का खनन तेज हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि तहसील प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं रहती है। जब जानकारी दी जाती है तो अधिकारी होश में आते हैं।
संवाद सहयोगी, पाटन : बीघापुर तहसील क्षेत्र अवैध खनन का बड़ा केंद्र बन चुका है। गंगा का पानी बढ़ने से रेती का खनन बंद हुआ तो अब मिट्टी का खनन तेज हो गया है। दिलचस्प ये है कि तहसील प्रशासन को अवैध खनन की कभी खबर नहीं होती। पूछे जाने पर अधिकारी द्वारा मासूम से जवाब मिलता कि उनको पता नहीं, तत्काल दिखवाते हैं। ये बात अलग है कि जिस क्षेत्र में खनन होता उससे जुड़ने वाली सड़कों पर पीआरवी की गश्त ज्यादा ही बढ़ जाती।
थाना बारासगवर के ग्राम डौडियाखेड़ा मजरे संग्रामपुर में मिट्टी का खनन धड़ल्ले से हो रहा है। दयालेश्वर मंदिर के पास रात के अंधेरे में बड़े पैमाने पर मिट्टी का अवैध खनन हो रहा। अंधेरा गहराने के बाद भोर होने तक चालू रहने वाले खनन में दर्जनों डंपर की रात भर आमदरफ्त बनी रहती। सुबह होने पर डंपरों और खनन करने में लगी दो जेसीबी को तगनापुर में खड़े कर दिए जाते। तहसील प्रशासन भले इससे अनजान होने का दावा करे पर रात में खनन स्थल के आसपास के रास्तों पर पीआरवी और स्थानीय पुलिस की गश्त कुछ और ही मिलीभगत की ओर इशारा करती है। संग्रामपुर के लोगों के द्वारा रात में अवैध खनन की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी पर उसके बाद अधिकारी का ये बोलना कि उनको जानकारी नहीं हैरत करने वाला है।
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किसानों को छोड़ किसी के नहीं मिट्टी खनन की इजाजत
- सरकार ने किसानों को खेती संबंधी उपयोग के लिए 10 मीटर मिट्टी खनन की स्वीकृति दे रखी है लेकिन इसके लिए पहले किसान को एसडीएम कार्यालय में आवेदन करना होता है। इसके बाद लेखपाल स्तर पर जांच होती है और फिर मिट्टी की खनन की स्वीकृति दी जाती है। वहीं गांव में बड़े क्षेत्र में खनन हो रहा और उसकी भनक राजस्व कर्मियों को भी नहीं ये बात भी गले नहीं उतर रही।
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- इस संबंध में जानकारी नहीं है लेकिन इस मामले को तत्काल दिखवाता हूं। नियम विरुद्ध मिट्टी खनन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
- प्रभुदयाल, एसडीएम