हरदोई आरओबी की दरार जांचने पहुंचे अधिकारी
उन्नाव-हरदोई मार्ग पर बने रेलवे ओवर ब्रिज की स्लैब का प्लास्टर टूटकर गिरने और इसकी सरिया खुलने की खबर छपने के बाद विभागीय अधिकारी बुधवार को इसे जांचने पहुंचे। अधिकारियों ने पुल के निचले हिस्से की बारीकी से जांच की और इसकी स्थिति उच्चाधिकारियों को बताई। उच्चाधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट जांच अधिकारियों से मांगकर पुल के मरम्मतीकरण कराए जाने की बात कही है।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : उन्नाव-हरदोई मार्ग पर बने रेलवे ओवर ब्रिज की स्लैब का प्लास्टर टूटकर गिरने और इसकी सरिया खुल जाने की खबर जागरण में छपने के बाद विभागीय अधिकारी बुधवार को इसे जांचने पहुंचे। अधिकारियों ने पुल के निचले हिस्से की बारीकी से जांच की और इसकी स्थिति उच्चाधिकारियों को बताई। उच्चाधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट जांच अधिकारियों से मांग कर पुल के मरम्मतीकरण कराए जाने की बात कही है।
शहर स्थित हरदोई आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) पर पानी भरने से इसकी स्लैब का प्लास्टर टूटने और इसकी सरिया में जंग लगने लगी थी। जो दिनोंदिन खतरनाक होती जा रही थी। बीते दिनों इससे हादसों की आशंका जताती हुई खबर दैनिक जागरण ने प्रकाशित की थी। खबर छपने के बाद रेलवे अधिकारी जागे और इस पर जांच प्रक्रिया के आदेश जारी किए। इसके चलते बुधवार को एईएन राहुल सब्बरवाल, चीफ आईओडब्ल्यू डीके श्रीवास्तव, आईओडब्ल्यू शैलेंद्र कुमार पुल की स्थिति देखने पहुंचे। अधिकारियों ने पुल की स्लैब की बारीकी से जांच की। जांच अधिकारियों को पुल में खासी कमियां मिलने पर उन्होंने तत्काल इसकी जानकारी विभागीय उच्चाधिकारियों को दी। इसमें बताया कि प्लास्टर टूटने से पुल में नीचे के हिस्से की सरिया खुल गई और उनमें जंग लगी है। इस पर उच्चाधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट उनसे लिखित रूप में भी मांगी है। मौके से जांच अधिकारियों ने बताया कि डीआरएम सतीश कुमार के आदेश पर ज्वाइंट रिपोर्ट बनाई गई है। सीनियर डीईएन के माध्यम से रिपोर्ट मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों को दी जाएगी। आरओबी में मिली खामियों को जैकेटिंग कराकर दूर किया जाएगा।
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आरओबी के नीचे से गुजरती हैं चार रेल लाइन
- हरदोई आरओबी के ठीक नीचे से चार रेल लाइनें गुजरती हैं। इन सभी में ओएचई लाइन भी बिछी हुई है। कभी भी कोई हादसा होता है तो यह इस ओएचई के जरिए इससे होने वाले खतरे को और भी बढ़ा सकता है।
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1975 से 1977 के बीच हुआ था आरओबी निर्माण
- जानकारों की मानें तो आरओबी का निर्माण वर्ष 1975 से 1977 के बीच हुआ। इससे यह करीब चार दशक पुराना है और इसकी मरम्मत को अब तक जिम्मेदारों ने नहीं सोचा। सिर्फ रोड के गड्ढों की लीपापोती कर कोरम पूरा कर लिया जाता है।