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मानसिक परेशानी के चलते महिला शिक्षामित्र फंदे से लटकी

असावर में महिला शिक्षामित्र ने मानसिक परेशानी के चलते घर के ऊपर बने कमरे की छत में लगे पंखे के कुंडे से फांसी लगाकर जान दे दी। उसके साथ कमरे में सो रहे दोनों बेटो में बड़ा बेटा सुबह 3 बजे टॉयलेट जाने के लिए उठा तो देखा मां का शव फांसी के फंदे से झूल रहा था। यह देख उसने शोर मचाया जिस पर घर के अन्य स्वजन भी आ गए और इसकी सूचना डायल 112 की दी। डायल 112 के साथ-साथ थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच पड़ताल की।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 07:27 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 06:12 AM (IST)
मानसिक परेशानी के चलते महिला शिक्षामित्र फंदे से लटकी
मानसिक परेशानी के चलते महिला शिक्षामित्र फंदे से लटकी

संवाद सूत्र, असोहा : असावर में महिला शिक्षामित्र ने मानसिक परेशानी के चलते घर के ऊपर बने कमरे की छत में लगे पंखे के कुंडे से फांसी लगाकर जान दे दी। सूचना पर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच पड़ताल की।

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थाना क्षेत्र के असावर निवासी 36 वर्षीय सविता पत्नी शिवानंद रविवार रात रोज की तरह सारा काम खत्म कर व खाना खाकर छत पर बने कमरे में अपने दोनों बेटे हर्षित (12) व रचित (6) के साथ सोने चली गई। सोमवार सुबह लगभग 3 बजे बड़े बेटे हर्षित की आंख खुल गई तभी उसकी नजर फांसी के फंदे पर झूल रही मां पर पड़ी। चीख पुकार सुन महिला के ससुर जगदेव व देवर महेंद्र भी ऊपर आ गए और फंदे से लटके सविता के शव को देख डायल 112 को सूचना दी। जिस पर हल्का इंचार्ज सर्वेश राना मय फोर्स के मौके पर पहुंचे सविता की मौत से दोनों बेटों का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतका के ससुर जगदेव प्रसाद ने बताया की बेटे की शादी 15 वर्ष पूर्व थाना बिहार निवासी सदानंद के बेटी सविता से हुई थी। एक वर्ष पूर्व पुत्र की मौत हो गई थी, तबसे सविता मानसिक तनाव में रहती थी उसी के चलते यह कदम उठा लिया। थाना अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने बताया कहाकि मामले की जांच की जा रही है।

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सिर से उठा माता-पिता का साया

- एक वर्ष पूर्व सविता के पति शिवानंद की मौत भी फांसी लगा लेने से हुई थी और उसके बाद सविता ने भी फांसी लगा अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है। इतनी छोटी उम्र में बच्चे अनाथ हो गए हैं। अब बच्चों का कौन सहारा बनेगा इसकी चर्चा गांव में होती रही।

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गांव के ही स्कूल में सविता थी शिक्षामित्र

- 2005-06 में सविता गांव के ही स्कूल में शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत हुई थी। सपा सरकार में शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाए जाने के आदेश के बाद वह भी सहायक अध्यापक बन गई थी, लेकिन सरकार के जाने के बाद शिक्षामित्रों की पुन: इसी पद पर वापसी हो गई, जिससे सविता को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं एक वर्ष पूर्व पति की मौत के बाद सविता और भी परेशान हो गई थी। किसी तरह वह बच्चों का पालन पोषण कर रही थी।


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