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विदेशियों की थाली में खुशबू बिखेरेगा पुरवा का बासमती

संवाद सहयोगी, पुरवा: दुनिया के कई देशों में पुरवा क्षेत्र के बासमती चावल की खुशबू बरकरार

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 11:49 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 11:49 PM (IST)
विदेशियों की थाली में खुशबू बिखेरेगा पुरवा का बासमती
विदेशियों की थाली में खुशबू बिखेरेगा पुरवा का बासमती

संवाद सहयोगी, पुरवा: दुनिया के कई देशों में पुरवा क्षेत्र के बासमती चावल की खुशबू बरकरार रखने के लिए किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है। गत वर्ष की तुलना में इस बार अच्छे मानसून के चलते बासमती की पैदावार बढ़ने की उम्मीद से किसानों के चेहरे खिले हैं।

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ब्रिटेन, नाइजीरिया, रूस, कनाडा, सऊदी अरब, ईराक, ईरान, जापान आदि देशों में पुरवा के बासमती चावल की खुशबू पसंद की जाती है। ऐसे में कई दशकों से पुरवा निर्यातकों की पंसद बना हुआ है। पिछले कुछ वर्षों से विपरीत परिस्थितियों के बावजूद धान की फसल लगा रहे किसान इस बार शुरुआती दौर में अच्छी बरसात से पैदावार बढ़ने की उम्मीद से खुश हैं। पुरवा तहसील के सभी गावों की लगभग डेढ़ हजार एकड़ भूमि पर बासमती सहित कई धान की अन्य किस्मों की पैदावार होती है। बासमती धान की किस्मों में देहरादून, 1121, शर्बती, सुगंधा सहित कुछ नयी धान की किस्में लगाई हैं। इसके सहारे पुरवा के बासमती की खुशबू को विदेशियों की थाली में बिखेरने के लिए जी-तोड़ मेहनत खेतों में की जा रही है।उत्पादन का तीन वर्षों का आंकड़ा (कुंतल में)

वर्ष--------धान-------बासमती

2014-15-- 476552--- 325000

2015-16-- 313756--- 250000

2016-17-- 241510--- 193208

2017-18-- 289399--- 217049

निर्यात न होने से गिर गया भाव

बासमती धान के भाव की बात करे तो वर्ष 2014-15 में 5600, 15-16 में 3300, 16-17 में 3300 रुपये कुंतल एवं 17-18 2500 से 2600 रुपये तक भाव पहुंचा था। दो वर्षों में भाव में कमी का मुख्य कारण इस्लामिक देशों में आये संकट से निर्यात गिरना रहा।

बीज बिक्री में हुई तीस फीसदी की बढ़ोत्तरी

इस बार अच्छे मौसम के आसार दिखाई पड़ने से बासमती सहित अन्?य धान की पैदावार बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। गत वर्ष 6400 कुंतल बीज बिक्री की तुलना में इस बार लगभग 7000 कुंतल बासमती बीज की बिक्री हुई है। मोटे धान के लिए भी लगभग 9000 कुंतल बीज बिक चुका है। किसान गोवर्धन पटेल, दिवाकर शुक्ला, विक्रम ¨सह, जगभान ¨सह, ओमप्रकाश व अन्य ने कहा कि पैदावार प्रकृति के रुख पर निर्भर होगी।


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