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करोड़ो खर्च के बाद भी सड़क से खेत तक मवेशियों का हल्ला बोल

आशीष दीक्षित उन्नाव आवारा मवेशी कब किसी का खेत चर जाएंगे और कब किसकी जिदगी इनकी वजह

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 11:24 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 11:24 PM (IST)
करोड़ो खर्च के बाद भी सड़क से खेत तक मवेशियों का हल्ला बोल
करोड़ो खर्च के बाद भी सड़क से खेत तक मवेशियों का हल्ला बोल

आशीष दीक्षित, उन्नाव : आवारा मवेशी कब किसी का खेत चर जाएंगे और कब किसकी जिदगी इनकी वजह से चली जाएगी, यह कहना बहुत मुश्किल है। पिछले तीन साल में आवारा मवेशियों की जिले में बाढ़ सी आ गई है। सड़क से लेकर खेत तक 30 हजार मवेशियों की धमाचौकड़ी से न केवल हादसे होते हैं, बल्कि किसानों के खेत भी बर्बाद हो रहे हैं। खेत बर्बाद होने से किसानों का कलेजा मुंह को आ जाता है। पुरवा में सबसे अधिक आवारा मवेशियों का बोलबाला है। यहां पर दो सालों में छह लोगों को मवेशी मौत के मुंह में भी धकेल चुके हैं। इन मवेशियों की रिहाइश को लेकर जिले में 136 गोशालाओं के निर्माण कराया गया है, जिसमें करोड़ों रुपया खर्च किया गया। उसके बाद भी सड़क और गांव तथा नगर के गलियारों में अन्ना पशु घूम रहे हैं। इनकी धरपकड़ को लेकर शासन से लेकर प्रशासनिक स्तर पर तमाम निर्देश जारी किए गए लेकिन सरकारी मशीनरी की अनदेखी पूरी व्यवस्था पर भारी पड़ गई, जिसका खामियाजा आमजनमानस को आएदिन भुगतना पड़ रहा है। एक नजर आवारा मवेशियों पर

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-मवेशियों को रखने के लिए बनाए गए गो आश्रय स्थल : 135

-गो आश्रय स्थलों में बंद मवेशी : 6889

हिलौली: हिलौली, लऊवा, गुजौली असरेंदा, संदाना, करदहा, बछौरा कुल सात गोशाला संचालित हैं, जिनमें 328 मवेशी बंद हैं।

हसनगंज: ब्लॉक की 81 ग्राम पंचायतों में मात्र 7 गांवों में गोशाला बनी हुई हैं। पूरे क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक है। इस वजह से राहगीर तो परेशान होते ही हैं साथ ही खेतों में खड़ी फसल बचाने के लिए किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

गंजमुरादाबाद : कुल आठ गोशाला हैं, जिसमें भिखारीपुर पतसिया में 67, सुल्तानपुर में 102, भिक्खनपुर गोपालपुर में 110, गोशाकुतुब में 107, जहांगीराबाद में 108, गढ़ा में 79, बेहटा मुजावर में 93 और गंजमुरादाबाद नगर में 15 गोवंश हैं। सड़क पर सभी गांवों में झुंड बनाकर गोवंश घूमते रहते हैं।

मियांगंज : 74 ग्राम पंचायतों में 17 गोशालाएं संचालित हैं जिसमें 416 गोवंशीय पशु बंद हैं और क्षेत्र में हजारों की संख्या में आवारा पशु घूम रहे हैं।

बांगरमऊ : विकासखंड बांगरमऊ क्षेत्र में संचालित सात गोशालाओं में ग्राम हीरापुर में 35, भिखारीपुर कस्बा में 34, तमोरिया बुजुर्ग 65, साईपुर सगौड़ा में 33, खैरुद्दीनपुर में 30, नेवलापुर में 31, कुरसठ ग्रामीण में 37 पशुओं को रखा गया है।

सिकंदरपुर सरोसी : ब्लाक में तीन गोशालाएं संचालित हो रही है जिनमें से थाना में करीब 485 गोवंश, चौरा में 31 और बरबट में 29 गोवंशीय हैं।

फतेहपुर चौरासी : क्षेत्र में कुल पांच गौशाला हैं। इसमें नगर में 44, कटिघरा में 32, भड़सर नौसहरा में 32, समसपुर अटिया में 38, हरदासपुर में 27 में पशु बंद हैं। कमजोर कड़ियों पर नजर:::

- समय पर पैसा न मिलने से मवेशियों को सूखा भूसा का सहारा

- पशु पालन विभाग की गाइडलाइन के बाद भी चारा को लेकर नहीं भेजी जाती रिपोर्ट

- प्रधानों के मुताबिक बार-बार मांग करने के बाद भी तीन माह में खाते में आता पैसा

- गोशालाओं में पशुओं की मौत पर गुपचुप तरीके से मामला निपटाने की होती है कोशिश

- मवेशियों की मौत के कारणों का पता लगाने की नहीं होती जांच

- आवारा मवेशियों की धरपकड़ में लेखपाल और प्रधानों ने खींचे हाथ

- तीन नगर पालिकाओं में कैटल कैचर दस्ते फेल

- 90 फीसद टैगिग का दावा फिर भी 30 हजार आवारा मवेशी

- पालतू मवेशियों को खुला छोड़ने वालों पर नहीं लगाया जा सका जुर्माना जिले में आवारा मवेशियों को पकड़ने की जिम्मेदारी जिनके पास है वह उस पर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधान और राजस्व कर्मियों को पशुओं की धरपकड़ करानी होती लेकिन इस पर विशेष अभियान नहीं चलाया जाता है। वहीं, पशु पालन विभाग ने दो साल पहले नगर निकायों को कैटल कैचर दस्ते उपलब्ध करा दिए थे लेकिन मवेशियों की धरपकड़ नहीं होती है। इस पर आलाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है। रही बात गोशालाओं के चारा की तो डिमांड के अनुरूप पैसा भेजा जाता है। हर दिन चारा तथा व्यय का रिपोर्ट गोशालाओं के संचालकों से ली जाती है।

डॉ. पीके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी


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