पालिका का ड्रेनेज सिस्टम का प्रस्ताव दो वर्ष से लंबित
जागरण संवाददाता बादा मंडल मुख्यालय की आबा
जागरण संवाददाता, बादा : मंडल मुख्यालय की आबादी लगातार बढ़ रही है, पर जल निकासी के इंतजाम वही पुराने हैं। यहा जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। बारिश के मौसम में चार माह लोगों के बेहद मुश्किल से गुजरते हैं। शहर के 36 छोटे-बड़े नालों में अवैध कब्जे हैं। पालिका का करीब ढाई करोड़ रुपये का ड्रेनेज का प्रस्ताव दो वर्षो से शासन में लंबित है। शहर का गंदा पानी सीधा नदी में गिरता है।
शहर में मौजूदा समय में करीब दो लाख की आबादी है। पिछले नगर पालिका चुनाव में यहा चार नए वार्ड बनाए गए है। जिला मुख्यालय करीब दस वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला है। शहर का सबसे बड़ा नाला पालिका के अभिलेखों में 60 फीट चौड़ा आज भी दर्ज है, लेकिन अवैध कब्जे के चलते यह 10 फीट भी नहीं बचा है। खासकर इसमें कुछ रसूखदार लोगों ने भी अवैध कब्जा कर मकान खड़ा लिया है। इसके अलावा निम्नी नाला, खिन्नी नाला सहित छोटे-बड़े 38 नालों से शहर पानी नदी में गिरता है।
शासन से आदेश हैं कि नदी में शहर का दूषित पानी न गिराया जाए, लेकिन यहा दूषित पानी केन को गंदा कर रहा है। ड्रेनेज सिस्टम अभी शुरू नहीं हो सका है। नगर पालिका ने छाबी तालाब के पास ड्रेनेज बनाने के लिए ढाई करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को दो वर्ष पूर्व भेजा था। लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ। मंडल मुख्यालय होने के बाद भी यहा जल निकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं है। दशकों पुराने ड्रेनेज ध्वस्त पड़े हैं। जरा सी बारिश में जल भराव की स्थिति पैदा हो जाती है। बारिश के मौसम में यहा चार माह तक अधिकाश मोहल्लों में जल भराव की समस्या रहती है।
पालिका में अवैध कब्जों को खाली कराने की क्षमता नहीं है। खुद की फोर्स नहीं है। प्रशासन से मागने के बाद भी फोर्स मिलती नहीं है। शासन स्तर पर बात रखी। लेकिन यह समस्या नहीं हो हल हो सकी। सफाई करने जाने वाले कर्मचारियों की लोग गाली गलौज करते हैं। जल निकासी के लिए ड्रेनेज का प्रस्ताव शासन में लंबित है। पानी फिल्टर के लिए एक-दो जगह नालों में जाली लगवाई हैं।
-मोहन साहू, नगर पालिका अध्यक्ष
शहर की जल निकासी की व्यवस्था के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। महाराष्ट्र की मिरी संस्था के जरिए यहा ड्रेनेज व फिल्टर प्लाट लगाया जाना है। ढाई करोड़ का इस्टीमेट है।
सुरेंद्र सिंह, नगर निकाय प्रभारी