'आदर्श जल ग्राम' बनाना दूर अधिकारी नाम तक नहीं जानते
च्रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न उबरे मोती मानस चूनज् सैकड़ों साल पहले पानी की महत्ता दर्शाते इस दोहे से जिला प्रशासन तवज्जो नहीं रखता है। इसी का प्रमाण है कि योजना के 6 साल बाद एक भी आदर्श जल ग्राम नहीं बनाया जा सका। आदर्श जल ग्राम बनाना तो दूर जिले के उच्चाधिकारी योजना के नाम तक से अपरिचित हैं।
ब्रजेश शुक्ला, उन्नाव : 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे मोती, मानस चून' सैकड़ों साल पहले पानी की महत्ता दर्शाते इस दोहे से जिला प्रशासन तवज्जो नहीं रखता है। इसी का प्रमाण है कि योजना के 6 साल बाद एक भी आदर्श जल ग्राम नहीं बनाया जा सका। आदर्श जल ग्राम बनाना तो दूर जिले के उच्चाधिकारी योजना के नाम तक से अपरिचित हैं।
भारत सरकार के केन्द्रीय जल आयोग से 'हमारा जल हमारा जीवन' नामक कार्यक्रम के माध्यम से आदर्श जल ग्राम की कवायद पूरी की जानी थी। कार्यक्रम में गोष्ठियों के माध्यम से मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी के अलावा ग्राम प्रधानों और सेक्रेटरी को जिम्मेदारी दी जानी थी। प्रशासन इस कवायद को ठंडे बस्ते में न डाल दे, इसलिए समय-समय पर वीडियो क्रांफेंसिंग के माध्यम से निर्देश दिए जाते रहे। वीडियो क्रांफेंसिंग भी किसी छोटे मोटे स्तर से नहीं बल्कि सीधे जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय भारत सरकार से की गई। योजना में उन ब्लॉकों को आदर्श जल ग्राम से संरक्षित करना था। जहां भू-गर्भ जल की मात्रा बेहद कम है। इस बाबत प्रशासन को बाकायदा जिले के कम भू-गर्भ जल वाले ब्लॉकों की सूची उप्र भू-गर्भ जल विभाग से सौंपी गई थी। प्रशासन को निर्देशों पर काम करते हुए समय-समय पर उप्र शासन के माध्यम से केन्द्रीय जल आयोग को रिपोर्ट सौंपी जानी थी। इन ब्लॉकों में है भू-गर्भ जल की कमी
हसनगंज, असोहा, बांगरमऊ, औरास, फतेहपुर चौरासी में जहां भू-गर्भ जल की मात्रा में गिरावट का पैमाना 50 सेंमी से अधिक हैं। वहीं जिले के 16 ब्लॉकों के बीच गंजमुरादाबाद, पुरवा, सिकंदरपुर सरोसी और पुरवा को छोड़ बाकी सभी 12 ब्लॉकों में भू-गर्भ जल में गिरावट प्रतिवर्ष दर्ज की जाती है। योजना में होने थे यह काम
- जिस ब्लॉक के गांव भू-जल स्तर की कमी से प्रभावित थे। वहां के जल संसाधनों को बल दिया जाना था।
- सभी जलश्रोतों, जल खपत, जल संरक्षण व जल संयोजनों के नियोजन से पानी उपब्धता बढ़ाने पर जोर दिया जाना था।
- आदर्श जल ग्राम गठन के लिए किसान, किसान संगठन, जल उपभोक्ता समितियों और एनजीओ आदि को गोष्ठी में शामिल करके दिशा निर्देशन लिया और दिया जाना था।
- गांव में मानसून की हर बूंद को सहेजने के लिए वृहद स्तर पर कार्यक्रम चलाए जाने थे। आदर्श जल ग्राम कवायद की कोई जानकारी नही है। अच्छी योजना है। इसे अब साकार करने के लिए निदेशालय से निर्देश मांगे हैं। निर्देश मिलते ही उन पर अमल करते हुए योजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
- प्रेमरंजन सिंह, मुख्य विकास अधिकारी, उन्नाव