डीएम की पहल भी न बदल सकी इमरजेंसी के हालात
संवाद सहयोगी, पुरवा : तहसील मुख्यालय की पुरवा सीएचसी में वर्षों से घटना दुर्घटना में घायल हो
संवाद सहयोगी, पुरवा : तहसील मुख्यालय की पुरवा सीएचसी में वर्षों से घटना दुर्घटना में घायल होकर अस्पताल आने वाले मरीजों को सीमेंट की बेंच पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। इस बदइंतजामी पर पूर्व डीएम की नजर पड़ी तो उन्होंने बेहतर सुविधाओं से लैस कर नई इमरजेंसी के निर्माण कराने की पहल की। शासन को धन स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया लेकिन वह भी मंजूर नहीं हो सका। इससे इमरजेंसी में बदलाव का सपना धूमिल होता दिख रहा है।
30 बेडों वाली पुरवा सीएचसी में यूं तो मरीजों को भर्ती कर इलाज करने के लिए चार वार्ड बने हैं। लेकिन इमरजेंसी नहीं है। अस्पताल परिसर में वार्ड अंदर बने होने से मरीजों के बैठने के लिए बनाई गई सीमेंट की बेंच पर ही आपातकालीन स्थिति में आने वाले घायलों को लिटाकर इलाज किया जाता है। मार्च 2018 में तत्कालीन डीएम रविकुमार एनजी ने सीएचसी का निरीक्षण कर हालात देखे। तहसील स्तरीय अस्पताल की दयनीय हालत देख पैथोलॉजी, नेत्र विभाग, प्रसव कक्ष आदि की मरम्मत व नई मशीनों को लगाने की हरी झंडी दी। इसी के साथ डीएम ने सीएचसी में नई इमरजेंसी बनवाने का निर्देश दिया था। तत्कालीन एसडीएम पूजा अग्निहोत्री ने खाली पड़ी भूमि पर इमरजेंसी निर्माण का प्रस्ताव डीएम को भेजा। जिस पर डीएम ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया। लेकिन आठ माह बीतने के बाद भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली। घायलों को आज भी सीमेंट की बेंचो पर लेटना पड़ रहा है। 6 माह से आटोएनलाइजर से नहीं हो रही जांच
मार्च 18 सीएचसी में पैथोलॉजी को उच्चीकृत कर आटोएनलाइजर व सेल काउंटर मशीने लगी थी। जिससे शुगर, लीवर, गुर्दे आदि की जांच शुरू की गई थी। लेकिन उक्त दोनों मशीनों में जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इडीटीए, प्लेन, फ्लूराइड, सीबीसी अभिकर्मक, डायूलेंट सीबीसी आदि सामग्री समाप्त हो गयी। लाखों की लागत से आई मशीनें धूल फांक रही है। इमरजेंसी निर्माण के लिए पूर्व डीएम ने शासन को प्रस्ताव भेजा था अभी मंजूरी नहीं मिली है। डीएम को इसकी पुन: रिपोर्ट भेजूंगा।
डॉ. लालता प्रसाद, सीएमओ नई इमरजेंसी के निर्माण का प्रस्ताव तत्कालीन डीएम ने शासन को भेजा था, जो फिलहाल स्वीकृति नहीं हुआ है। लेकिन वैकिल्पक व्यवस्था के लिए इमरजेंसी के लिए एक अलग से कक्ष का निर्माण कराया जा रहा है। जिससे कुछ हद तक समस्या खत्म हो जाएगी।
डॉ प्रमोद कुमार सीएचसी प्रभारी, पुरवा