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उन्नाव विधायक कांडः गवाह युनूस का शव शनिवार रात कब्र से निकाला, रविवार सुबह फिर दफन

उन्नाव विधायक कांड में सीबीआइ के गवाह युनूस की मौत अब भी रहस्य है। उसका शव शनिवार रात पोस्टमार्टम के लिए कब्र से निकाला गया और रविवार सुबह फिर दफन किया गया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 07:44 PM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 11:55 PM (IST)
उन्नाव विधायक कांडः गवाह युनूस का शव शनिवार रात कब्र से निकाला, रविवार सुबह फिर दफन
उन्नाव विधायक कांडः गवाह युनूस का शव शनिवार रात कब्र से निकाला, रविवार सुबह फिर दफन

उन्नाव (जेएनएन)। बहुचर्चित उन्नाव कांड में सीबीआइ के गवाह युनूस की मौत अब भी रहस्य ही बनी हुई है। पुलिस ने परिवारीजन के कड़े विरोध के बाद भी कब्र से गवाह का शव निकलवा कर शनिवार रात पोस्टमार्टम कराया, मगर रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका। बिसरा सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा गया है। पुलिस ने भोर पहर 3.45 बजे शहर काजी की मौजूदगी में शव को पुन: उसी जगह दफना दिया। 

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पीडि़त किशोरी के चाचा ने भाई की हत्या के गवाह की मौत पर संदेह जताते हुए पोस्टमार्टम की मांग की थी। पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए युनूस के घरवालों की सहमति लेनी चाही तो वे विरोध पर उतर आए। शनिवार सुबह से रात तक कई चक्र में वार्ता के बाद भी वे नहीं माने तो पुलिस ने जबरन शव को कब्र से निकलवा कर पोस्टमार्टम कराया। रात एक बजे करीब पोस्टमार्टम प्रकिया पूरी हुई। इस दौरान युनूस के घरवाले और रिश्तेदार मौजूद नहीं थे। 

तीन जार में सुरक्षित बिसरा

यूनुस की मौत का कारण स्पष्ट न होने से पैनल के तीन डाक्टरों ने बिसरा सुरक्षित किया। पोस्टमार्टम सूत्रों के मुताबिक, पहले जार में फेफड़ा, हृदय और दिमाग का टुकड़ा, दूसरे जार में लिवर, गाल ब्लेडर, दोनों किडनी का टुकड़ा और तीसरे जार में छोटी आंत का टुकड़ा सुरक्षित किया गया। कब्र की मिट्टी को पांच जार में सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा गया है। पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों के मुताबिक कब्र में शव दफनाने के कुछ दिन बाद शरीर का जहर मिट्टी में आ जाता है।

पुलिस के कहने पर लिया डीएनए सैंपल

कब्र से निकाला गया शव यूनुस का ही है, इस पर कोई पेंच न फंसे, इसके लिए पुलिस ने डाक्टरों से डीएनए सैंपल लेने के लिए कहा। डाक्टरों ने डीएनए सैंपल के तौर पर कॉलर बोन और सीने की हड्डी का टुकड़ा, सिर के बाल और खाल भी सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा है। डा. आशुतोष वाष्र्णेय के मुताबिक, फेफड़ा और लिवर पूरी तरह सिकुड़ा मिला। मौत बीमारी से हुई या अन्य वजह से, यह बिसरा रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा। 

सीएम आवास पहुंचने पर उठे सवाल

जगह वही थी, घटनाक्रम वही था लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास पांच कालीदास मार्ग पर आत्मदाह की कोशिश का। फिर केंद्र बिंदु में उन्नाव का माखीकांड था। बस किरदार बदले थे। पहले आठ अप्रैल को परिवार के साथ पहुंच दुष्कर्म पीडि़त किशोरी ने आत्मदाह की कोशिश की थी तो इस बार इसी मामले में सीबीआइ के गवाह युनूस के परिवारीजन ने। पीडि़ता पुलिस के कार्रवाई न करने से क्षुब्ध होकर पहुंची तो युनूस के घरवाले कार्रवाई के विरोध में पहुंचे। वे युनूस की संदेहास्पद मौत की आशंका पर कब्र खोदकर शव पोस्टमार्टम निकालने के दबाव से खफा थे। परिवार को पुलिस जांच से ऐसी क्या दिक्कत थी, जिसको रोकने का दबाव बनाने के लिए वह रात में मुख्यमंत्री आवास पहुंच गया, यह सवाल तनकर खड़ा हो गया है। माखी गांव से लापता होने के दो-तीन घंटे बाद लखनऊ में उनकी मौजूदगी कयासों को हवा दे रही है। 

प्रायोजित था यह विरोध 

पुलिस कब्र से सहमति से शव निकालने की कवायद में लगी हुई थी। परिवार के गायब होने को लेकर पुलिस सशंकित हो गई। बाद में पता चला कि परिवार लखनऊ में सीएम आवास पहुंच गया है। हैरत यह कि वहां मीडिया पहले से मौजूद था। गांव में चर्चा है कि यह विरोध प्रायोजित था। विधायक कुलदीप सेंगर के रिश्तेदारों पर आरोप लगा रहे पीडि़ता के चाचा का कहना है कि शाम छह बजे गांव की नहर के पास तीन गाडिय़ां यूनुस के परिवार का इंतजार कर रही थीं। लखनऊ में विधायक के रिश्तेदार ने मीडिया को सूचना देकर बुलाया।

गांव में तैनात रहा पुलिस बल

कब्र से युनुस का शव निकलवाने और पोस्टमार्टम के दफनाए जाने से आक्रोश न भड़क सके, इसके लिए पुलिस गांव में तैनात रही। रविवार को युनूस के परिवारीजन ने मीडिया से बातचीत करने से इन्कार कर दिया।एसपी हरीश कुमार ने बताया कि पीडि़ता के चाचा और यूनुस के भाई जान मोहम्मद ने मौत को संदेहास्पद बता शव का पोस्टमार्टम कराने की तहरीर दी थी। जबकि युनूस की पत्नी मौत का कारण बीमारी बताकर पोस्टमार्टम से इन्कार कर रही थी। 


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